ब्रह्माकुमारी के द्वारा पवित्र कर्णेश्वर धाम में हजारों कांवरियों को दिया गया परमात्मा शिव का संदेश

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 ब्रह्माकुमारी के द्वारा पवित्र कर्णेश्वर धाम में हजारों कांवरियों को दिया गया परमात्मा शिव का संदेश



परमात्मा शिव को याद करने से अपने अंदर से काम.क्रोध. लोभ.मोह अहंकार सब मिट जाते हैं.. ब्रम्हाकुमारी सरिता दीदी 

उत्तम साहू 

नगरी/ बोल बम सेवा समिति के द्वारा संचालित पवित्र कणेश्वर धाम के भंडारा पंडाल परिसर में धमतरी से पधारी राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी सरिता दीदी ने इस अवसर पर कांवर यात्रा में शामिल शिव भक्तों को दिव्य संदेश दिया, दीदी जी ने उद्बोधन में पवित्र सावन महीने में शिवजी पर जल अभिषेक बेलपत्र अर्क धतूरा चढ़ाने के आध्यात्मिक रहस्यों को उजागर किया एवं विभिन्न क्षेत्रों से आए हुए हजारों शिव भक्तों को शिव संदेश देते हुए सावन मास की शुभकामनाएं प्रेषित की और कहा कि आप सभी भाईयों में शिव के प्रति अटूट श्रद्धा, आस्था व विश्वास से आपकी मनोकामनाएं अवश्य पूर्ण होगी, उन्होंने आगे कहा समुद्र मंथन के दौरान सृष्टि की रक्षा के लिए शिव ने विष को अपने गले में धारण कर लिया इसके प्रभाव को कम करने के लिए सभी देवताओं ने उन पर जल अर्पित किया इसी के बाद सावन मास में भगवान शिव को जल चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई यह मास आस्था का प्रतीक माना जाता है। 




जीवन में मूल्य की तलाश के लिए शिव तत्व की खोज बेहद जरूरी है जैसे सावन मास आते ही गर्मी से तपती धरती बारिश की बूंद से तृप्त होती है वैसे ही शिव को याद करने से अपने अंदर ईर्ष्या द्वेष तथा काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार मिट जाते हैं और हमारे आचरण में सरलता आनंद, प्रेम व पवित्रता का गुण धारण हो जाता है सावन मास में मनुष्य में देवत्व उत्पन्न हो जाता है तथा आसुरी स्वभाव संस्कार का अंत हो जाता है इस महीने में सोमवार के व्रत उपवास का अधिक महत्व है व्रत का अर्थ दृढ़ संकल्प तथा उपवास का अर्थ निकट वास करना है अर्थात मन बुद्धि से सदा परमात्मा के समीप साथ रहने का संकल्प करना ही सच्चा व्रत है इसलिए स्नेह रूपी जल को शिव परमात्मा को अर्पण करना ही जलाभिषेक है तथा दुग्धाभिषेक का अर्थ है सात्विकता को जीवन में धारण कर वास्तविक सुख शांति का अधिकारी बनना। दीदी जी ने आगे कहा आज मनुष्य के अंदर दैवी व आसुरी प्रवृत्तियों के बीच संघर्ष चलता है वह जब परमात्मा से योग युक्त होकर ज्ञान अमृत को आत्मसात करता है और आसुरी अवगुण रूपी विष को शिव को अर्पण करता है तब शिव उसमें सभी विष को हर लेते हैं दीदी जी ने कहा शिव परमात्मा आज इस धरती पर स्वयं अवतरित हो चुके हैं शिव निराकार ज्योति स्वरूप है वे ज्ञान राजयोग सीखा कर मनुष्य में सतयुगी दिव्य गुण व दैवी संस्कारों को पुनः विकसित करते हैं ज्ञान सूर्य ज्योति स्वरूप शिव अपने ईश्वरीय ज्ञान व शिक्षा के प्रकाश द्वारा मनुष्यों की आसुरी व अवगुणों को सदगुण दैवी चरित्र व दैवी संस्कारों में बदलते हैं।

            एक पेड़ मां के नाम पर पौधारोपण किया गया 


इस दौरान एक पेड़ मां के नाम अभियान के तहत कर्णेश्वर मंदिर परिसर में पौधारोपण कर सभी को संदेश देते हुए कहा प्रकृति संरक्षण करना हमारा दायित्व है साथ ही सभी से अपील करते हुए कहा आपको जब भी मौका मिले एक पेड़ मां के नाम अवश्य लगाएं। नागेश बहन व बी यदु बहन ने गीत प्रस्तुत किया। उक्त अवसर पर राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी सरिता दीदी जी सहित हजारों शिवभक्त तथा ब्रह्माकुमारी संस्था के भाई-बहन व बोल बम समिति के पदाधिकारी मौजूद रहे,अंत में समिति के पदाधिकारी द्वारा दीदी जी का सम्मान शिव प्रतिमा भेंट कर की गई ।कार्यक्रम का संचालन निशा बहन ने किया।

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