हाईकोर्ट के आदेश से पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह जांच के दायरे में, करोड़ों के भ्रष्टाचार का मामला...पढ़िए पूरी खबर

  हाईकोर्ट के आदेश से पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह जांच के दायरे में, करोड़ों के भ्रष्टाचार का मामला...पढ़िए पूरी खबर



रायपुर/ बिलासपुर हाई कोर्ट ने एक बड़ा फैसला देते हुए प्रियदर्शिनी बैंक घोटाले में जांच की अनुमति दे दी है। इस घोटाले के एक आरोपी ने नार्को टेस्ट में तत्कालीन मुख्यमंत्री, और कई मंत्रियों के नाम लिए थे। इस मामले के जांच के खिलाफ भाजपा नेता हाईकोर्ट गए थे। हाईकोर्ट ने इस मामले में सरकार को जांच की अनुमति दे दी है।

इस मामले की जांच की अनुमति मिलते ही छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ट्वीट कर जानकारी दी। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा है कि, "माननीय उच्च न्यायालय ने जनता की गाढ़ी‌ कमाई के पैसों के गबन के प्रियदर्शिनी बैंक घोटाले की जांच की अनुमति दे दी है।

नार्को टेस्ट में प्रमुख अभियुक्तों में से एक उमेश सिन्हा ने बताया‌ था कि उसने तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह और उनके मंत्रियों अमर अग्रवाल, बृजमोहन अग्रवाल व रामविचार नेताम सहित कई भाजपा नेताओं को करोड़ों रुपए दिए थे।


बैंक संचालकों सहित कई अन्य लोगों को भी पैसे दिए गए।


भ्रष्टाचार उजागर होना चाहिए। दोषियों को सज़ा मिलनी ही चाहिए,अभी तक ED की जांच में लगातार सरकार और उनके लोगों पर जांच चल रही थी और इसके लिए भाजपा सरकार पर हमलावर थी लेकिन इस मामले में जांच की अनुमति मिलने से भूपेश सरकार को राहत मिलती दिख रही है। हालांकि इससे पहले नान घोटाला सहित कई मामलों में सरकार ने पूर्व सरकार के मंत्रियों और नेताओं पर FIR तो दर्ज की है लेकिन जांच अटक गई है। कई मामले अभी हाईकोर्ट में लंबित हैं। इस मामले में हाईकोर्ट ने जरूर जांच की अनुमति दी है।

इस मामले में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने एक वीडियो भी ट्वीट के साथ जारी किया है जिसमें इस मामले का डिटेल दिया गया है और आरोपी उमेश सिन्हा का नार्को टेस्ट के दौरान लिया गया वीडियो है जिसमें वह पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेताओं का नाम लेता नजर आ रहा है। लोगों को समझाने के लिए वीडियो में नरेशन भी डाला गया है।

प्रियदर्शिनी बैंक घोटाले में आरोप है कि बैंक संचालकों ने करीब 54 करोड़ का हेर फेर किया है। नार्को टेस्ट के दौरान आरोपी में पूर्व मुख्यमंत्री सहित अन्य कई भाजपा नेताओं को पैसे देने की बात भी आरोपी ने की थी। बताया जाता है कि यह घोटाला 2007 में हुई थी और मामले को दबाने के लिए भाजपा नेताओं को घुस दी गई थी। 

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