सफलता की कहानी...छत्तीसगढ़ में गोबर अब कचरा नहीं, बल्कि कमाई का बना जरिया

 


सफलता की कहानी...छत्तीसगढ़ में गोबर अब कचरा नहीं, बल्कि कमाई का बना जरिया

पोटियाडीह के “मोहितराम” ने गोबर बेचकर खरीदी जमीन

उत्तम साहू 

धमतरी, 26 जुलाई 2023। छत्तीसगढ़ में गोबर अब कचरा या गंदगी नहीं, बल्कि कमाई का जरिया बन चुका है। प्रदेश सरकार की फ्लैगशिप योजना गोधन न्याय योजना से गौपालकों एवं किसानों के लिए गेमचेंजर साबित हो रही है। यहां के किसान गोबर बेचकर सफलता की नई कहानी लिख रहे हैं। छत्तीसगढ़ में अब गोबर बेचकर किसी ने पढ़ाई के लिए लैपटाप खरीदे, किसी ने खेतीबाड़ी के लिए पैसे जुटाए हैं तो किसी ने जमीन खरीदने का सपना पूरा किया। 


गोबर बेचकर खुद की जमीन होने का सपना हुआ पूरा


इसी क्रम में गोधन न्याय योजना से धमतरी जिले के ग्राम पोटियाडीह के यादव परिवार के जीवन शैली में भी बदलाव आया। मोहित राम यादव ने बताया कि गोधन न्याय योजना शुरु होने से पहले घर के मवेशियों के गोबर का कोई हिसाब-किताब नहीं था, न ही गोबर एकत्र करने में कोई खास रुचि थी। गोबर को सिर्फ घुरवा में डाल दिया जाता था। मगर गोधन न्याय योजना प्रारंभ होने से मवेशियों के गोबर का महत्व बढ़ गया है, अब वे गोबर गौठान में नियमित रूप से बेच रहे हैं और 15 दिवस के भीतर उनके बैंक खाते में पैसे भी आ रहे हैं। जिससे उनकी आमदनी अच्छी हो रही है एवं आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है। गोबर बेचकर उस राशि से जमीन खरीदने के सपने को पूरा कर लिया। अब उनकी खुद की जमीन हो गई है। 


3 लाख से ज्यादा किसानों का आजीविका का साधन बना गोधन न्याय योजना


गोधन न्याय योजना से 03 लाख 58 हजार से ज्यादा किसानों को लाभ हो रहा है। 17 हजार 834 स्व-सहायता समूहों के 02 लाख 09 हजार 750 सदस्यों को इस योजना से आजीविका मिल रही है। इस योजना ने माताओं और बहनों को आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाकर उनका आत्मविश्वास मजबूत किया है। प्रदेश में 10 हजार 327 गौठान स्वीकृत किए गए है, जिनमें से 10 हजार 263 गौठानों को निर्माण पूरा हो चुका है। याने 99.38 प्रतिशत गौठानों का निर्माण कर लिया है। गौठानों द्वारा स्वयं की राशि से गोबर की खरीदी की जा रही है अभी तक 5 हजार 960 स्वावलंबी गौठानों द्वारा 66 करोड़ 96 लाख रुपए के गोबर की खरीदी की जा चुकी है। गोधन न्याय योजना मे अभी तक कुल 125.54 लाख क्विंटल गोबर की खरीदी की गई है। इसकी एवज में 251 करोड़ रुपए का भुगतान गोबर विक्रेताओं को किया जा चुका है। इसी तरह गौठान समितियों और महिला स्व-सहायता समूहों को 257 करोड़ 29 लाख रूपए का भुगतान किया जा चुका है।

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Accept !