420 के आरोपी विधायक का आदिवासी विरोधी चेहरा उजागर
आदिवासी के साथ धोखाधड़ी करने वाले को विधायक प्रतिनिधि बनाकर आदिवासी समाज का किया अपमान
उत्तम साहू/दबंग छत्तीसगढ़िया न्यूज
धमतरी/ नगरी- आदिवासी सुरक्षित सीट सिहावा विधानसभा से आदिवासी समाज के बलबूते विधायक बनने वाली विधायक का आदिवासी विरोधी चेहरा जनता के सामने आ गया है, विधायक ने आदिवासी जमीन हड़पने वाले को ही विधायक प्रतिनिधि बना कर आदिवासी समाज को खुली चुनौती दे कर अपने ही समाज के साथ विश्वासघात की है, एवं अपने पद का दुरुपयोग करके आदिवासी की जमीन हड़पने वाले को खुलेआम संरक्षण दे रही है
क्या है मामला जानिए
गरीब आदिवासी परिवार की 9 एकड़ जमीन को विधायक प्रतिनिधि के परिवार ने बलपूर्वक दादागिरी करके अपने कब्जे में लेकर फर्जी रूप से रजिस्ट्री करवा लिया है और रजिस्ट्री कराने के बाद जमीन पर सैकड़ो साल पुराने लगे सैंकड़ों वृक्ष को कटवा कर वन विभाग से 30 लाख रुपए का मुआवजा भी ले लिया है, इसके बाद इस जमीन को दूसरे व्यक्ति को ठेका में देकर पैसा कमा रहा है, इधर आदिवासी परिवार अपने जमीन को वापस पाने न्याय के लिए दर-दर भटक रहा है लेकिन अधिकारियों की मिली भगत की वजह से इस आदिवासी परिवार को न्याय नहीं मिल रहा है आपको बता दें कि दमकाडीही की इस आदिवासी विधवा गरीब महिला के पति और ससुर ने जमीन हड़पने की शिकायत करते हुए 170(ख) के तहत नगरी के राजस्व न्यायालय में मामला दर्ज कराया था, एसडीएम ने मामले की सुनवाई के दौरान पाया कि आदिवासी की जमीन को इन दबंगों ने छल कपट एवं बलपूर्वक कब्जा करना पाया गया, एसडीएम ने दबंगों से जमीन को आदिवासी परिवार को वापस दिलाने तहसीलदार को निर्देशित किया था, इसके बाद इन साहू परिवार के लोग राजनीतिक संरक्षण के चलते एसडीएम के आदेश को निरस्त करवा कर जमीन की रजिस्ट्री फर्जी रूप से करवा लिया है
गौरतलब है छत्तीसगढ़ भू राजस्व संहिता के अनुसार अनुसूचित क्षेत्र में आदिवासी की जमीन को गैर आदिवासी के नाम पर रजिस्ट्री हो ही नहीं सकता लेकिन यहां पर उच्च स्तरीय राजनीति संरक्षण में इस नियमों का खुला उल्लंघन किया गया है और आदिवासी की जमीन को गैर आदिवासी के नाम पर रजिस्ट्री कर दिया गया है इसकी उच्च स्तरीय जांच होने पर मामले का खुलासा हो जाएगा
फर्जी रजिस्ट्री में शामिल उन सभी लोगों के खिलाफ अपराध दर्ज हो
आदिवासियों के हक और अधिकार के लिए बड़ी-बड़ी बातें होती है लेकिन यह सब बातें भाषण और कागजों तक सीमित हो गई है यहां पर तो खुद आदिवासी प्रतिनिधि ही आदिवासी समाज के शोषण करने में लगे हुए हैं, आर्थिक रूप से दबे कुचले आदिवासी परिवारों को न्याय के लिए भटकना पड़ रहा है ऐसे में आदिवासी हितों की बात करना बेमानी होगी
अनुसूचित जनजातियों के सदस्यों के विरुद्ध होने वाले क्रूर और अपमानजनक अपराध, के लिए बनाए कानून के तहत इन तीनों व्यक्तियों पर एफआईआर कराके मुकदमा दर्ज करना चाहिए, एवं आदिवासी की जमीन रजिस्ट्री को शून्य घोषित कर मालिक मकबूजा से मिले 30 लाख रुपए की राशि को रिकवरी कर आदिवासी परिवार को दिया जाना चाहिए