महिलाओं ने कमरछठ का व्रत रखकर अपने पुत्रों के दीर्घायु जीवन की मंगल कामना की
बड़ी संख्या में महिलाएं शामिल होकर विधि विधान से पूजा कर मनाया कमरछठ का पर्व
उत्तम साहू
नगरी छत्तीसगढ़ की परंपरा एवं संस्कृति के अनुसार कमरछठ का व्रत बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है इस दिन माताएं हालसष्टि का व्रत रख कर संतान प्राप्ति,संतान की लंबी उम्र,सुख समृद्धि के लिए भगवान शिव व मातापार्वती की पूजा अर्चना करती हैं। नगर के राजबाड़ा स्थित दंतेश्वरी मंदिर प्रांगण और साईं मंदिर परिसर में सामुहिक रूप से बड़ी संख्या में महिलाएं पूजा में शामिल हुई
नगरी नगर के साथ ही पूरे ग्रामीण क्षेत्र के गांव-गांव में माता बहनों ने एक साथ सामूहिक रूप से भगवान शिव और माता पार्वती के प्रतीक के रूप में सगरी बनाकर जल चढ़ाकर नारियल धूपबत्ती एवं परसहर चावल के प्रसाद चढ़ाकर सगरी भगवान की पूजा की एवं संतानों की दीर्घायु व सुख समृद्धि की प्रार्थना करते हुए क्षेत्र की समृद्धि एवं खुशहाली की कामना की महिलाओं ने बताया कि इस दिन व्रत के दौरान वह कोई अनाज नहीं खाती है
आपको बता दें इस दिन महिलाएं उपवास रख कर सगरी में पूजा करने के पश्चात बिना हल चले अनाज और सब्जियों का इस्तेमाल किया जाता है प्रसाद के रूप में परसहर चावल 6 प्रकार की भाजी सब्जी भैंस का दूध दही और घी का प्रयोग किया जाता है
हलसष्टि व्रत का महत्व और मान्यता
इसलिए मनाया जाता है हलशष्ठी का पर्व भादो माह के कृष्ण पक्ष की सृष्टि के दिन बलराम जन्म उत्सव के रूप में देशभर में मनाई जाती है बलदाऊ और हलधर के नाम से प्रसिद्ध श्री बलराम जी भगवान श्री कृष्ण के बड़े भाई हैं इस दिन भगवान शेषनाग ने द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण के बड़े भाई के रूप में जन्म लिया था इस पर्व को हलसष्टि एवं हरछठ के नाम से भी जाना जाता है बलराम जी का मुख्य शस्त्र हल और मुसल है जिस कारण इन्हें हलधर कहा जाता है इन्हीं के नाम पर इस पर्व को हलशष्ठी भी कहा जाता है



