कुरुद में महानवमी पर माता दुर्गा के हवन पूजन में बड़ी संख्या में शामिल हुए श्रध्दालू गण
मुकेश कश्यप
कुरुद:- सोमवार को महानवमी के पावन अवसर पर कुरूद नगर में विराजित मां दुर्गा के भुवन में समितियों द्वारा विधिविधान के साथ शुभ मुहूर्त में हवन पूजन भंडारा संपन्न हुआ।
मिली जानकारी अनुसार शारदीय नवरात्रि के पावन अवसर पर कुरुद नगर में परम्परानुसार नगर में विभिन्न स्थानों पर विराजी मां आदि शक्ति के भुवन में बड़ी संख्या में उपस्थित भक्त जनों ने हवन पूजन में सहभागी बनकर पुण्य प्राप्त किया।वहीं नवकन्या पूजन व भंडारा भी हर्षोलास के साथ सम्पन्न हुआ।इस दौरान आस्था व भक्ति चरम पर थी।
सोमवार दोपहर को संजय नगर ,सरोजनी चौक,पुराना बाजार,थाना चौक, गांधी चौक,बजरंग चौक,नया बाजार ,पुरानी कृषि उपज मंडी,इंदिरा नगर,शंकर नगर,नया तालाब कारगिल चौक,धोबनी पारा,सूर्य नमस्कार चौक आदि स्थानों पर माँ जगदम्बे के भुवन में हवन पूजन संपन्न हुआ।साथ ही जससेवा गीतों की मधुर ध्वनि के साथ भक्तिमय वातावरण बना रहा।
मान्यताओं के अनुसार महानवमी को मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है और ऐसा माना जाता है कि जो भी भक्त पूरे श्रद्धा भाव से देवी दुर्गा के इस रूप की उपासना करता हैं, वह सारी सिद्धियों को प्राप्त करते हैं। हिंदू धर्म में मां सिद्धिदात्री को भय और रोग से मुक्त करने वाली देवी के रूप में जाना जाता है। माना जाता है कि मां सिद्धिदात्री की कृपा जिस व्यक्ति पर होती है, उसके सभी कार्य सिद्ध हो जाते हैं।मान्यता है कि एक महिषासुर नाम का राक्षस था, जिसने चारों तरफ हाहाकार मचा रखा था। उसके भय से सभी देवता परेशान थे। उसके वध के लिए देवी आदिशक्ति ने दुर्गा का रूप धारण किया और 8 दिनों तक महिषासुर राक्षस से युद्ध करने के बाद 9वें दिन उसको मार गिराया। जिस दिन मां ने इस अत्याचारी राक्षस का वध किया, उस दिन को महानवमी के नाम से जाना जाने लगा। महानवमी के दिन महास्नान और षोडशोपचार पूजा करने का रिवाज है। ये पूजा अष्टमी की शाम ढलने के बाद की जाती है। दुर्गा बलिदान की पूजा नवमी के दिन सुबह की जाती है। नवमी के दिन हवन करना जरूरी माना जाता है क्योंकि इस दिन नवरात्रि का समापन हो जाता है। मां की विदाई कर दी जाती है। महानवमी को लोग नौ कन्याओं को भोजन कराकर अपना व्रत खोलते हैं।मां की इस रूप में उपासना करने से सभी प्रकार की सिद्धियां प्राप्त हो जाती हैं।