घरों में धूमधाम से विराजी धन की देवी महालक्ष्मी
मुकेश कश्यप
कुरूद:- नगर सहित अंचल में रोशनी के महापर्व दीपावली का उल्लास प्रारंभ हो गया है।शुक्रवार को धनतेरस का महापर्व धूमधाम के साथ मनाया गया।इस बीच घरों में भी धूमधाम के साथ धन की देवी महालक्ष्मी जी की स्थापना की गई।मनमोहक रंगोली व जगमग दिए की रोशनी के बीच इस पावन पुनीत अवसर पर पूर्ण विधिविधान के साथ माता लक्ष्मी का आगमन हुआ।इस दौरान महाराज जी के सानिध्य में विधिवत आरती पूजन कर प्रसाद वितरण कर जनकल्याण की कामना की गई।
बदलते दौर के साथ पर्व को धूमधाम के साथ मनाने की परंपरा आगे बढ़ रही है।बाजार में धन की देवी महालक्ष्मी की आकर्षक व मनमोहक मिट्टी की मूर्तियां मन मोह रही है।वहीं मिट्टी के सामान्य व विशेष दिए भी लोगो को ध्यान खींच रहे है | बाजार अपने शबाब पर है।पूजन सामग्री,कपड़े और फटाखे सहित अन्य सामानों ने बाजार में भीड़ जारी है।
नगर के प्रमुख स्थानों पर स्थित गौरा चौक में गौरा जागरण कर पर्व की विधिवत शुरुआत हो गई।वहीं नन्ही-मुन्ही बेटियां पारंपरिक वेशभूषा के साथ सुआ नृत्य नाचते- गाते हुए लोक संस्कृति का निर्वहन कर रही है।इस प्रकार चारो ओर दीपोत्सव की धूम है।सभी वर्ग अपने स्तर पर पर्व की खुशियों में चार चांद लगा रहे है।
मान्यताओं के अनुसार प्रतिवर्ष कार्तिक माह की अमावस्या तिथि के दिन दिवाली का पर्व मनाया जाता है,जिसकी शुरुआत धनतेरस के दिन से होती है।साल के सबसे इस पर्व में इस दिन घरों में घी के दीपक जलाए जाते हैं और हर तरफ रोशनी ही रोशनी होती है।दिवाली के दिन मां लक्ष्मी व भगवान गणेश का पूजन किया जाता है. कहते हैं कि इस दौरान यदि विधि-विधान से मां लक्ष्मी की पूजा की जाए तो घर में सुख-समृद्धि और धन-दौलत की कमी नहीं रहती है।दिवाली के दिन लोग अपने घरों से दीपक से जगमग करते हैं। मान्यता है कि इस दिन घर में मां लक्ष्मी प्रवेश करती हैं और वास करती हैं. ऐसे में यदि वह प्रसन्न हो जाएं तो भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। दिवाली के दिन विधि-विधान से मां लक्ष्मी का पूजन किया जाता है और इसके पीछे धार्मिक महत्व जुड़ा हुआ है. कहते हैं कि जहां धन की देवी मां लक्ष्मी का वास होता है ,वहां हमेशा सुख-समृद्धि और खुशहाली बनी रहती है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार दिवाली के पांच दिवसीय महोत्सव के दौरान ही देवताओं और राक्षसों द्वारा किए गए सागर मंथन से मां लक्ष्मी उत्पन्न हुई थीं,इसलिए दिवाली को उनका जन्म दिवस भी माना जाता है. साथ ही यह भी मान्यता है कि दिवाली की रात को मां लक्ष्मी ने भगवान विष्णु को पति के रूप में चुना और उनसे विवाह किया। इस दौरान सभी देवी-देवता उनके विवाह में शामिल हुए. इसलिए दिवाली का त्योहार बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है और इस दिन विधि-विधान से मां लक्ष्मी का पूजन किया जाता है।मान्यता है कि इस दिन मां लक्ष्मी प्रसन्न रहती हैं और जो लोग उस दिन उनकी पूजा करते है आने वाले दिनों में मानसिक, शारीरिक दुखों से दूर सुखी रहते हैं।मान्यताओं के अनुसार भगवान राम द्वारा रावण को मारने और माता सीता को लंका से वापस लाने के 20 दिन बाद दिवाली मनाई गई थी. क्योंकि इसके बाद ही भगवान राम अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ 14 वर्ष का वनवास काटकर वापस अयोध्या लौटे थे. उनके स्वागत के लिए पूरा अयोध्या शहर सजाया गया था. लोगों ने अपने राजा का स्वागत करने के लिए शहर को दीयों से सजाया। तब से दिवाली के दिन मिट्टी के दीयों से सजावट की जाती है और इस त्योहार को मनाया जाता है. इसके अलावा एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार दिवाली के दिन भगवान विष्णु की वैकुण्ठ में वापसी होती है और इस दौरान मां लक्ष्मी उनका स्वागत करती हैं।