बेलगाम नौकरशाही,वादा खिलाफी,और भ्रष्टाचार के कारण हुई कांग्रेस की हार

 बेलगाम नौकरशाही,वादा खिलाफी,और भ्रष्टाचार के कारण हुई कांग्रेस की हार

अकेले सिहावा विधानसभा में ही विगत 5 वर्षों में अरबों का भ्रष्टाचार

लेखक, संपादक/उत्तम साहू 

धमतरी/ भूपेश सरकार की प्रशासनिक अधिकारियों पर कोई नियंत्रण नहीं होने की वजह से, अधिकारी बेलगाम हो गए और नियम विरुद्ध कार्य करते रहे, जनता के द्वारा चुनी हुई सरकार में जनता की कोई सुनवाई नहीं हो रही थी,जनता की समस्या और शिकायतों का समाधान नहीं होना, आवेदन-पत्र को रद्दी में डाल कर जनता की आवाज को दबाया गया, आम जनता की कोई सुनवाई नहीं होना भी कांग्रेस की हार एक प्रमुख कारण है, बता दें कि ग्रामीण क्षेत्र के दूर दराज से अपनी फरियाद लेकर मुख्यालय पहुंचने वालों को कार्यालय में जिम्मेदार अधिकारी का नहीं मिलना बार बार चक्कर लगाना आम लोगों की नियति बन गई थी ब्लाक स्तर से जिला स्तर के अधिकारी अपने कार्यालय में रहते नहीं हैं, जमीनी स्तर पर हुए भ्रष्टाचार की पुख्ता प्रमाण देने के बावजूद भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारी पर कोई कार्यवाही नहीं होने से जनता अपने आप को ठगा महसूस करने लगे थे, नौकरशाही पर कोई नियंत्रण नहीं रहा जिसका खामियाजा कांग्रेस को भुगतना पड़ा है,

कांग्रेसी विधायक के नेतृत्व में अधिकारियों पर दबाव बना कर पूरे सिहावा विधानसभा में 5 वर्षों में अरबो रुपए का भ्रष्टाचार हुआ है अगर विधायक निधि और मध्य क्षेत्र आदिवासी विकास परिषद के तहत हुए कार्यों का निर्माण स्थल पर भौतिक सत्यापन किया जाए तो भ्रष्टाचार का खुलासा हो जाएगा, लक्ष्मी ध्रुव खुद आदिवासी होकर आदिवासी के जमीन हड़पने वाले को विधायक प्रतिनिधि बनाया, नियम विरुद्ध आदिवासी की जमीन को गैर आदिवासी के नाम रजिस्ट्री किया गया है, गरीब आदिवासी महिला ने रजिस्ट्री निरस्त कराने और जमीन को वापस दिलाने कई जगह न्याय की गुहार लगाते रही लेकिन आज तक न्याय नहीं मिला है, 

कांग्रेस ने पांच साल सिर्फ भ्रष्टाचार किया और तुष्टिकरण की राजनीति की बस्तर में धर्मांतरण के कारण तनाव था, कांग्रेस ने इसको बढ़ावा दिया। धर्मांतरण के कारण लोग नाराज थे। कवर्धा और बीरनपुर की घटना के बाद पूरे प्रदेश में कांग्रेस के खिलाफ आक्रोश बढ़ गया था। कांग्रेस इसे संभाल नहीं पाई इसके चलते प्रदेश में बदलाव आया। साजा में सामान्य से व्यक्ति ईश्वर साहू और कवर्धा में विजय शर्मा की जीत और कांग्रेसी दिग्गजों की हार जनता के आक्रोश का उदाहरण है।

आदिवासी बाहुल्य संभाग बस्तर और सरगुजा सहित समूचे प्रदेश में भाजपा को ऐतिहासिक बढ़त मिली। कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को नियमितकरण करने का वादा किया था लेकिन अपने वादे पर अमल नहीं किया यह भी एक प्रमुख कारण रहा है

 कांग्रेस 5 साल तक भाजपा पर केवल भ्रष्टाचार के आरोप लगाती रही लेकिन भाजपा के खिलाफ एक भी आरोप पत्र दाखिल नहीं किया। उल्टा पांच साल प्रदेश में कोयला, शराब,गोबर,रेत,पीएससी सहित अनेक घोटाले किए। कोयला घोटाला में तो ईडी और आईटी की जांच में भूपेश बघेल की सचिव सौम्या चौरसिया सहित उनके करीबी आईएस आज जेल में है। शराब घोटाले की भी जांच चल रही है। महादेव सट्टा एप में भूपेश बघेल का नाम है। पीएससी घोटाले के 18 लोगो के भर्ती में हाई कोर्ट ने रोक लगा दी है। इसका असर चुनाव में कांग्रेस के खिलाफ देखने को मिला।

 जनता कांग्रेस के वादों और घोषणाओं पर भरोसा नहीं जताया। बल्कि मोदी की गारंटी पर अपनी मोहर लगाई। चुनाव में कांग्रेस ने 36 वादे किए थे, वादे अधूरे रहें। न सबका कर्जा माफ हुआ न प्रदेश में शराब बंदी हुई। उल्टा शराब में ही करोड़ों का घोटाला कर दिया। खुलेआम रेत,कोयला और शराब का पैसा कांग्रेसीयों ने अपनी जेब में भरा, अब सत्ता बदलने के साथ ही जनता के जेहन में सवाल उठ रहा है। क्या भाजपा शासनकाल में सभी घोटालों की जांच होगी? क्या भ्रष्टाचार के दोषी जेल जाएंगे ? जनता के मन में उठने वाले सवाल है।


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