फरसियाँ में कारगिल विजय दिवस पर शहीद के परिजनों को सम्मानित किया गया

 फरसियाँ में कारगिल विजय दिवस पर शहीद के परिजनों को सम्मानित किया गया 


उत्तम साहू 

धमतरी/ नगरी - शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय फरसियाँ में राष्ट्रीय सेवा योजना इकाई के द्वारा कारगिल विजय दिवस के 25 वें वर्षगांठ के अवसर पर शहीद के परिजनों का सम्मान किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत विद्यालय के प्राचार्य नीरज सोन, शहीद रतन सिंह मरकाम के भाई रायसिंह मरकाम व अन्य शिक्षकों के द्वारा कारगिल के शहीदों की प्रतिमा पर माल्यार्पण व दीप प्रज्वलित करके किया गया। रासेयो के कार्यक्रम अधिकारी ऋषिकेश साहू ने कारगिल विजय दिवस के बारे में बताया कि राष्ट्रीय सेवा योजना के क्षेत्रीय निदेशक कार्यालय भोपाल के निर्देश से हमारे विद्यालय में कारगिल दिवस का आयोजन किया गया है। जिसके अंतर्गत शहीदों के परिजनों का सम्मान व विद्यालय में शहीदों के नाम से वृक्षारोपण किया गया है। हम सबके मन में देश प्रेम की भावना, आपसी भाईचारा और सदभाव की भावना को विकसित करना है। देश के प्रति मर मिटने के लिए हमें हमेशा तैयार रहना चाहिए।



कारगिल विजय दिवस के अवसर पर सभा को संबोधित करते हुए लोमस कुमार पटेल ने कहा कि शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि तभी होगी जब हम इस देश को ऐसा बनाएं जिसमें आपस में भाईचारा एक दूसरे के प्रति प्रेम व सहिष्णुता का भाव हो। प्रेमलाल ध्रुव ने कहा कि शहीदों की शहादत हमें ऐसे ही जानी नहीं देना चाहिए। यह युद्ध पाकिस्तान के घुसपैठी जो कारगिल पर हमला किए थे, उनको यहां से भगाने के लिए भारत के सैनिकों के द्वारा किया गया था। हमारे देश के सैनिक ठंडी, गर्मी, बरसात के मौसम की परवाह किए बिना सीमा पर डटे हुए रहते हैं। और अपना सर्वोच्च बलिदान देने के लिए भी हमेशा तैयार रहते हैं। हमें उन शहीदों का सम्मान करना चाहिए।रेणु सोम ने कहा कि कारगिल युद्ध के समय मीडिया विस्तृत नहीं थी। समाचार पत्र या अखबार के माध्यम से कारगिल युद्ध की जानकारी प्राप्त होती थी। हर सुबह एक उत्सुकता रहती थी कि आज कारगिल में क्या हुआ होगा। इस संबंध में हर व्यक्ति यह जानना चाहता था कि किस तरह से पाकिस्तान के घुसपैठियों को हमारे सैनिकों ने धराशाई किया है।

घटुला से आए लिलाधर साहू ने संबोधित करते हुए एक कहानी के माध्यम से बताया की चिड़िया किस तरीके से एक चोंच में थोड़ा सा पानी भरकर के जंगल में लगे आग को बुझाने का प्रयास करती है और बंदर उसको देखकर के हंसते रहते हैं कि चिड़िया अपने चोंच के पानी से जंगल की आग को कैसे बुझा सकती है। जब देश के अच्छे कार्यों के लिए याद किया जाए तो हमारा योगदान चिड़ियों की तरह होना चाहिए बंदरों की तरह नहीं।अपने से जितना बन सके थोड़ा ही सही पर सहयोग के लिए सदैव तत्पर रहना चाहिए।

 


यशपाल सिंह साहू ने कहा कि शहीदों की कुर्बानी ऐसे ही नहीं जानी चाहिए देश का हर व्यक्ति एक सच्चा सैनिक हो सकता है। हमें अपने अधिकारों के साथ कर्तव्यों का भी पालन करना चाहिए।उन्होंने गीत के माध्यम से रासेयो के स्वयंसेवकों के मन में उत्साह का संचार किया। विद्यालय के प्राचार्य नीरज सोन ने ग्राम फरसियाँ के शहीद रतन सिंह मरकाम के साथ अपने संस्मरण बताते हुए कहा कि हम सब एक ही विद्यालय में सहपाठी हुआ करते थे। रतन सिंह मरकाम के मन में देश प्रेम की भावना बचपन से ही थी। वह हमेशा देश प्रेम की बात किया करते थे और जब उनका चयन पुलिस में हुआ तो हम सब काफी गदगद हो गए थे कि हमारा मित्र देश की सेवा करेगा। बेहद सरल सहज व्यक्तित्व के धनी रतन मरकाम 20 फरवरी 2000 को वे नक्सलियों से लोहा लेते हुए देश के लिए 32 वर्ष की उम्र में वीरगति को प्राप्त किए।शहीद के छोटे भाई रायसिंह मरकाम का विद्यालय परिवार की ओर से साल व श्रीफल के माध्यम से सम्मान किया गया। रायसिंह अपने भाई की बारे में बताते हुए भाव विभोर होकर कहा कि भाई की शहादत पर मुझे गर्व है। इस बात का फक्र है मैं ऐसे व्यक्ति का भाई हूं जिन्होंने देश के लिए अपनी शहादत दी है। 

 इस अवसर पर विद्यालय के व्याख्याता निरुपमा श्रीमाली, किरन श्रीमाली, लोमश कुमार पटेल, यशपाल साहू, प्रेमलाल ध्रुव, अरविंद सोम, इको क्लब प्रभारी देवयानी सोम, रेणु सोम, मिलेंद्र ठाकुर, स्काउट गाइड प्रभारी शिल्पा मानिकपुरी, त्रिवेणी सूर्यवंशी, टिकेश साहू, त्रिलोक कपूर ध्रुव, भगवती ध्रुव, उप शालानायक अर्चना भारद्वाज, सुनंदा मरकाम, अदिति सिन्हा, नूतन साहू, कुमार साहू, ललित सेन, अखिल कुमार, खगेश बकड़िया, यशकरण, निकिता नागवंशी, त्रिवेणी साहू, आरती ध्रुव, षंकर्षण साहू, झरना सेन,धामेश मरकाम, सहित समस्त राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवक उपस्थित रहे।समस्त छात्र छात्राएं उपस्थित रहे।कार्यक्रम का संचालन ऋषिकेश साहू ने किया।निरुपमा श्रीमाली ने आभार प्रदर्शन करते हुए सभी अतिथियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया।

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