घर में बच्चों को छत्तीसगढ़ी सिखाऍ : डॉ.विनय कुमार पाठक

 घर में बच्चों को छत्तीसगढ़ी सिखाऍ : डॉ.विनय कुमार पाठक 

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उत्तम साहू 

धमतरी/ विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान,प्रयागराज ,छत्तीसगढ़ इकाई के तत्वावधान में राष्ट्रीय आभासी संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें "छत्तीसगढ़ी भाषा के प्रति हमारा दायित्व" विषय पर अध्यक्षता की आसंदी से उदबोधित उदगार में डॉ विनय कुमार पाठक, पूर्व अध्यक्ष छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग एवं कुलपति थावे विद्यापीठ,गोपालगंज, बिहार ने कहा कि घर में बच्चों को छत्तीसगढ़ी भाषा का संस्कार दें और विद्यालय में पठित भाषा को भी सीखें। इससे मातृभाषा और हिंदी तथा अंग्रेजी के आचरण से बच्चों में मौलिकता का विकास होगा। उन्होंने आगे कहा कि छत्तीसगढ़ी बोली नहीं भाषा है, इसके लिए पाठ्यक्रमों में इसका संधारण आवश्यक है। उन्होंने अनेक उदाहरणों से छत्तीसगढ़ी को लोकजीवन में उतारने की दृष्टि दी।

वक्ता डॉ. अनिल भतपहरी,पूर्व सचिव छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग, रायपुर ने कहा कि छत्तीसगढ़ी भाषा प्राकृतिक रूप से उपजे भाषा है। और छत्तीसगढ़ी भाषा को आगे बढ़ाने का प्रयास विश्वविद्यालय में एम.ए.विषय के रूप में और साहित्यकारों, कवियों के द्वारा किया जा रहा है। अतिथि के रूप में उपस्थित डॉ. गोकुलेश्वर कुमार द्विवेदी ,सचिव, विश्व हिंदी साहित्य सेवा संस्थान प्रयागराज ने कहा कि छत्तीसगढ़ी भाषा को आगे बढ़ाने के लिए पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए। संगोष्ठी में कार्यक्रम का संचालन, संयोजक डॉ. मुक्ता कान्हा कौशिक,छत्तीसगढ़ प्रभारी ने कहा कि छत्तीसगढ़ी भाषा बहुत ही सरल सुमधुर और गुरतुर बोली है। कार्यक्रम का प्रारंभ श्री लक्ष्मीकांत वैष्णव चांपा ,जांजगीर,के मां सरस्वती वंदना से हुआ। स्वागत उद्बोधन डॉ .सीमा रानी प्रधान के द्वारा किया गया। प्रस्तावना में सुश्री नम्रता ध्रुव , सहायक प्राध्यापक रायपुर,छत्तीसगढ़ ने कहा कि युवा पीढ़ी को छत्तीसगढ़ी भाषा के प्रति रुचि पैदा करना और लिखने को बढ़ावा देना चाहिए। आभार डॉ.सरस्वती वर्मा, प्राध्यापक , माता कर्मा महाविद्यालय , महासमुंद के द्वारा किया गया। आभासी पटल पर डॉ ओमप्रकाश त्रिपाठी, सोनभद्र,श्री कान्हा कौशिक , अध्यक्ष,प्रांतीय छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति, रायपुर, श्री अरुण निगम, श्रीमती पुष्पा शैली रायबरेली, श्रीमती सीमा वर्मा प्रयागराज, डॉ सुनील परीट, नागपुर, डॉ.चंद्रशेखर मुंगेली, शोधार्थी रतिराम गढ़ेवाल, रायपुर सहित अनेक विद्वान , साहित्यकार, प्राध्यापकगण, शोधार्थी आभासी पटेल पर उपस्थित रहे।

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