मंडल अध्यक्ष के चुनाव में बहुसंख्यक वर्ग की उपेक्षा से कार्यकर्ताओं में नाराजगी..

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 मंडल अध्यक्ष के चुनाव में बहुसंख्यक वर्ग की उपेक्षा से कार्यकर्ताओं में नाराजगी..

लिफाफे कि वजह से मेहनती बहुसंख्यक वर्ग का कार्यकर्ता नगरी मंडल अध्यक्ष पद से पिछे छूट गया, 



उत्तम साहू 

नगरी/ भाजपा मंडल नगरी के चुनाव कराने सांकरा में भाजपा कार्यकर्ताओं की बैठक आयोजित करके सिर्फ औपचारिकता निभाई गई, बैठक में चुनाव के जगह संगठन के द्वारा पहले से ही नाम तय कर लिफाफा में बंद कर लिया था, जैसे ही लिफाफा को खोल कर बलजीत छाबड़ा के नाम की घोषणा हुई, वैसे ही कार्यकर्ता में नाराजगी दिखाई दिया और बैठक से उठ कर जाने लगे, कुछ कार्यकर्ताओं ने नाम नहीं छापने के शर्त पर बताया कि बरसों से पार्टी के लिए काम कर रहे बहुसंख्यक वर्ग के कार्यकर्ताओं का पार्टी संगठन ने उपेक्षा किया है, उन्होंने संघठन के कुछ लोगों पर आरोप लगाया कि अगर लिफाफा में ही नाम तय करना था तो मीटिंग बुलाने का क्या औचित्य था? उन्होंने कहा कि संगठन की चुनाव में कार्यकर्ताओं से विचार विमर्श नहीं किया गया और मंडल अध्यक्ष के पद को थोप दिया गया है। संघठन के फैसले पर कार्यकर्ताओं ने नाखुशी जाहिर करते हुए नाराज होकर बैठक से उठ कर चले गए, कार्यकर्ताओं में भारी नाराजगी देखा गया, 


भाजपा का फार्मूला बलजीत छाबड़ा को मंडल अध्यक्ष बना कर नगर पंचायत चुनाव से पृथक करना है..




विश्वस्त सूत्रों की मानें तो संगठन ने साधा एक तीर से दो निशान अपनी रणनीति के तहत नगर पंचायत चुनाव से वंचित करने बलजीत छाबड़ा को भाजपा मंडल का अध्यक्ष बना दिया गया है ताकि संगठन में बैठे कुछ लोगों का रास्ता चुनाव के लिए साफ हो सके बता दें कि बलजीत छाबड़ा नगर विकास में बढ़ चढ़कर अपनी सहभागिता प्रदान कर सभी कार्यों में आगे रहता है इसलिए जनता के बीच उनकी छवि साफ सुथरी है, बलजीत छाबड़ा पूर्व में वार्ड क्रमांक 10 के पूर्व पार्षद और सभापति का दायित्व बखूबी निभाया है, वर्तमान में उसकी धर्म पत्नी पूनम छाबड़ा पार्षद है, नगर विकास के लिए समर्पित होने के साथ ही, आम जनता से मंधूर संबंध स्थापित किया है, नगरी के विकास के लिए हर पल हर समय तप्तर रहने वाले श्री छाबड़ा को आगामी दिनों में होने वाली नगर पंचायत चुनाव में अध्यक्ष पद के लिए मजबूत दावेदार माना जा रहा था, उनके इसी लोकप्रियता को देखते हुए संगठन के कुछ लोगों ने नगर पंचायत के चुनाव से पृथक करने के लिए उन्हें मंडल अध्यक्ष के दायित्व सौंपा गया है ताकि अध्यक्ष पद के लिए दावेदारी मत कर सके,और विरोधियों का राह आसान हो जाए।



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