क्या है नगर पंचायत नगरी का माहौल" काँग्रेस में तीन दावेदार तो भाजपा में दावेदारों की बाढ़..लेकिन अंदर की बात कुछ और है..पढिये पूरी खबर
उत्तम साहू
नगरी / नगरी निकाय के चुनाव तारीखों का एलान हो गया है, इसके बाद सियासी गलियारों में हलचल तेज हो गई है, और चुनाव के मैदान में किस्मत आजमाने के लिए भाजपा कांग्रेस में टिकट के लिए घमासान मच गया है, इस घमासान में महिलाएं भी पीछे नहीं है,
बता दें कि धमतरी जिले का आदिवासी विकासखंड मुख्यालय के नगर पंचायत नगरी में जहां भाजपाई दावेदारों में अध्यक्ष पद के लिए होड़ मची हुई है वहीं कांग्रेस में इस पद के लिए 3 दावेदारों के नाम सामने आये हैं। कांग्रेस के इन दावेदारों में से प्रेमन स्वर्णबेर, राघवेन्द्र वर्मा और अनवर रजा ने अध्यक्ष पद के लिए दावेदारी किया है। वहीं खबर यह भी है कि कुछ लोग अपने बलबूते स्वतंत्र रूप से चुनाव मैदान में उतरने के इच्छुक हैं, इसकी तैयारी अंदर खाने चल रही है, कांग्रेस और बीजेपी प्रत्याशी की घोषणा के बाद स्पष्ट होगा,फिलहाल अभी तक पत्ता नहीं खुला है।
उल्लेखनीय है कि 2014 में कांग्रेस पार्टी के समर्थन से चुनाव लड़ने वाले प्रेमन स्वर्णबेर सशक्त दावेदार थे लेकिन ऐन वक्त पर 9 वोटों से करारी हार का सामना करना पड़ा था। 10 वर्षों बाद जब फिर से अध्यक्ष का चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली से होने वाली है, और नगर पंचायत में अध्यक्ष पद अनारक्षित होने के साथ ओबीसी के पाले में आया तो इस बार उन्होने फिर से किस्मत आजमाने का फैसला किया है।
भाजपा की ओर से अभी तक अध्यक्ष पद के लिए 3 दावेदारों के नाम सामने आए हैं जिनमे एक नाम नगर पंचायत के पूर्व अध्यक्ष नागेंद्र शुक्ला उपाध्यक्ष अजय नाहटा और बलजीत छाबड़ा का नाम चलने का खबर है, अगर भाजपा ओबीसी को टिकट देता है तो उलटफेर हो सकता है। भाजपा के सूत्र बताते हैं कि इन्हीं तीन नामो में से एक नाम पर मूहर लगनी है और भाजपा जब तक अपना प्रत्याशी क्लीयर नहीं करती तब तक कांग्रेस भी अपना पत्ता नहीं खोलने वाली। कांग्रेस दूसरे दावेदार पर ही दांव खेलना चाहती है इसलिए उसका नाम उजागर नहीं कर रही है। कांग्रेस पार्टी के करीबी सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस इस सीट को किसी भी हाल में हासिल करना चाहती है इसलिए कांग्रेस फिलहाल अपनी रणनीतियों को गोपनीय रख रही है।
दरअसल कांग्रेस चुनावी अंक गणित में इस सीट को काफी सेफ मान रही है। कांग्रेस इस बात से पूरी तरह कॉन्फिडेंस में है कि इस बार कांग्रेस के परम्परागत वोटर्स एक भी इधर से उधर नहीं होने वाले हैं। मतदाता इस बार एकजुट है। इनकी एकजुटता अगर बरकरार रही तो रिजल्ट भाजपा के लिए आसान नहीं होगा। लेकिन भाजपाई खेमा भी खुद को कांग्रेस से बहुत आगे मान रहा है। भाजपाई सूत्रों का कहना है कि इस चुनाव में कांग्रेस कहीं नही है। कांग्रेस के पास चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों के टोटे पड़े हुए हैं इसलिये अभी तक कांग्रेस के पास अध्यक्ष पद के 3 ही दावेदार सामने आ पाए है।
कांग्रेस और भाजपा से परे होकर राजनीतिक चिंतन करने वाले राजनीति के जानकारों का कहना है कि प्रदेश की सत्ता से बेदखल होने के बाद कांग्रेस के दावेदारों में इस बार भारी कमी आयी है यह सच है लेकिन कांग्रेस इतनी आसानी से यहाँ हार मानने वाली नहीं है। जातीय समीकरण और काँग्रेस के परम्परागत वोटों के आंकड़ों पर गौर करें तो भाजपा काँग्रेस से ज्यादा आगे नहीं है। यह सीट 2008 से अब तक भाजपा के हिस्से में रही है।
ऐसे में यह सीट जीतना कांग्रेस के लिए जितना मुश्किल है उतना ही मुश्किल भाजपा के लिए भी है इसलिए भाजपा भी अपने प्रत्याशियों को लेकर काफी सीरियस है और जीताऊ कंडीडेट को ही टिकट देना चाहती है वही कांग्रेस का फोकस इस बार अध्यक्ष की सीट पर ज्यादा है इसलिए कांग्रेस भी काफी फूंक फूंक कर कदम रख रही है ।देखना यह होगा कि दांव किसका भारी पड़ता है ?