हाईकोर्ट ने संविदा कर्मचारियों को 4 महीने में नियमित करने का सुनाया फैसला

 हाईकोर्ट ने संविदा कर्मचारियों को 4 महीने में नियमित करने का सुनाया फैसला



बिलासपुर/ नियमितीकरण की लंबी लड़ाई लड़ रहे एनआईटी रायपुर के संविदा और दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को आखिरकार राहत मिली है। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में 42 कर्मचारियों को नियमित करने का आदेश जारी किया है। कोर्ट ने एनआईटी प्रशासन को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि अगले चार महीने के भीतर इन कर्मचारियों को उनके वर्तमान पद पर ही नियमित किया जाए।

     याचिकाकर्ताओं की दलील और कोर्ट का फैसला

याचिकाकर्ता नीलिमा यादव, रश्मि नागपाल और अन्य 40 कर्मचारियों ने अधिवक्ता दीपाली पाण्डेय के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। उन्होंने तर्क दिया कि वे पिछले 10 से 16 वर्षों से एनआईटी रायपुर में संविदा और दैनिक वेतनभोगी के रूप में कार्यरत हैं। उनकी नियुक्ति एक विधिवत विज्ञापन, लिखित परीक्षा और साक्षात्कार के बाद मेरिट के आधार पर हुई थी। उन्होंने तर्क दिया कि वे न केवल आवश्यक शैक्षणिक योग्यता रखते हैं, बल्कि उनके पास संबंधित कार्य में पर्याप्त अनुभव भी है। हाईकोर्ट के जस्टिस एके प्रसाद ने इस पर फैसला सुनाते हुए कहा कि चूंकि याचिकाकर्ता एक दशक से अधिक समय से कार्यरत हैं, इसलिए उन्हें अनुभवहीन नहीं माना जा सकता। कोर्ट ने आदेश दिया कि वे जिस पद पर कार्यरत हैं, उसी पर नियमित किए जाएं,मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न मामलों के आदेशों को न्याय दृष्टांत के रूप में प्रस्तुत किया, जिनमें प्रमुख रूप से शामिल हैं:

स्टेट ऑफ कर्नाटक बनाम उमा देवी

स्टेट ऑफ कर्नाटक बनाम एमएल केसरी

विनोद कुमार व अन्य बनाम यूनियन ऑफ इंडिया

स्टेट ऑफ ओडिशा बनाम मनोज कुमार प्रधान

श्रीपाल व अन्य बनाम नगर निगम गाजियाबाद

इन मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने लंबे समय से कार्यरत संविदा कर्मियों के नियमितीकरण को लेकर महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश दिए थे, जिन्हें हाईकोर्ट ने इस केस में लागू किया।

एनआईटी रायपुर के अधिवक्ता ने कोर्ट में तर्क दिया कि संस्थान में नियमितीकरण के लिए कोई स्पष्ट नियम नहीं है, लेकिन हाईकोर्ट ने इस दलील को खारिज कर दिया और कर्मचारियों के अनुभव व स्थायित्व को आधार बनाकर चार महीने के भीतर नियमितीकरण का आदेश जारी कर दिया।

यह फैसला संविदा कर्मचारियों के अधिकारों की दिशा में एक बड़ा कदम है। यह दिखाता है कि यदि कोई कर्मचारी लंबे समय तक बिना किसी अनुचित लाभ के कार्य कर रहा है और उसकी नियुक्ति योग्यता के आधार पर हुई है, तो उसे समान अधिकार मिलने चाहिए। इस फैसले से एनआईटी रायपुर के कर्मचारियों को स्थायित्व मिलेगा, उनकी आर्थिक सुरक्षा मजबूत होगी, और वे बिना किसी नौकरी की अस्थिरता के अपने कार्य पर ध्यान केंद्रित कर सकेंगे।

हाईकोर्ट का यह फैसला संविदा कर्मचारियों के लिए मिसाल बन सकता है, जो वर्षों से अपने नियमितीकरण की मांग कर रहे हैं। यह न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि देशभर के अन्य शिक्षण संस्थानों, सरकारी विभागों और सार्वजनिक उपक्रमों में कार्यरत संविदा कर्मचारियों को न्याय पाने की उम्मीद देगा।





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