नगरी के राजस्व विभाग में भ्रष्टाचार का मामला सुर्खियों में..तारीख पे तारीख से आम जनता परेशान

 नगरी के राजस्व विभाग में भ्रष्टाचार का मामला सुर्खियों में..तारीख पे तारीख से आम जनता परेशान 

बटांकन सीमाकंन नकल फौती नामांतरण रजिस्ट्री जैसे कार्य बिना लेन देन के नहीं होता



उत्तम साहू, दबंग छत्तीसगढ़िया न्यूज 

नगरी/ पारदर्शी प्रशासन तथा विकासन्नोमुखी सरकार देने की नीति से छत्तीसगढ़ सरकार सुशासन और विकास की राह पर तेजी से आगे बढ़ रहा है सरकार का यह कदम लोकतांत्रिक सफलता का घोत्तक है सरकार ने भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई है, लेकिन इसका असर सरकारी कार्यालयों में नहीं दिख रहा है, हम बात करें नगरी के राजस्व कार्यालय की तो यहां पर जिस तरह से खुलेआम भ्रष्टाचार किया जा रहा जिसके कारण सरकार की छवि धूमिल हो रही है,  विष्णु देव साय सरकार की भ्रष्टाचार पर जिरो टारलेंस की नीति सिर्फ मिडिया की सुर्खियां बनकर रह गई है, जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है, प्रदेश में बाबू से लेकर पटवारी और तहसीलदार पर घूसखोरी के कई प्रकरण सामने आ चुके हैं, लेकिन राजस्व विभाग में भ्रष्टाचार पर अंकुश नहीं लग पाया है। जमीन संबंधी कामकाज में भ्रष्टाचार की शिकायतें आम बात हो गई है।         बता दें नगरी के राजस्व विभाग में घूसखोर पटवारी और कर्मचारियों की वजह से लोगों को किसी तरह घूसखोरी से राहत मिलता नहीं दिखाई दे रहा है, और किसानों को मजबूरी वस काम के बदले घूस देने को विवस है। इस तरह से राजस्व विभाग में भ्रष्टाचार का मामला लगातार सुर्खियों में है।

हमारे विस्वत सूत्रों की मानें तो राजस्व कार्यालय नगरी में बटांकन सीमाकंन नकल फौती नामांतरण रजिस्ट्री जैसे कार्य पर खुलेआम भ्रष्टाचार का खेल खेला जा रहा है, कोई व्यक्ति घूस देने में असमर्थ होता है तो उसका काम को लटका दिया जाता है और तारीख पे तारीख देकर परेशान किया जाता है, एक जानकारी के मुताबिक नगरी राजस्व अनुविभाग के कुछ पटवारीयों पर जमीन दलाल बन कर कार्य करने का गंभीर आरोप हैं, वहीं एक पटवारी तो अपने पद का दुरुपयोग करते हुए कूट रचित दस्तावेज तैयार करके शासकीय भूमि को अपने नाम पर रजिस्ट्री करा लिया है, 

वहीं जमीन रजिस्ट्री के समय में शासन की पूरी स्टांप ड्यूटी की राशि देने के बाद भी वह रजिस्ट्रार को अलग से पांच से दस हजार रुपए घूस के तौर पर देना पड़ता है, तब कहीं जाकर रजिस्ट्री होता है, जमीन हो या प्रतिवेदन के नकल निकालने पर नकल शाखा में प्रति पेज सौ रुपए देना पड़ता है, इसी तरह एसडीएम के फैसले की कापी लेने पर संबंधित बाबू को रुपए देना पड़ता है, यहां तक धारा 151 में बिना भेंट पूजा के जमानत भी नहीं होता है, इसी तरह राजस्व विभाग के अंतर्गत किसी भी काम के लिए रिस्वत लेने की परंपरा चल रही है। जो किसान घूस नहीं देता उसे तारीख पे तारीख दे कर घूमाया जाता है। परेशान लोग अपने काम-धंधे को छोड़कर दिन भर कार्यालय में बैठे रहने के बाद भी सुनवाई नहीं होती है इसके बाद अगला तारीख मिल जाता है, जिसके बाद उपस्थिति पंजी में दस्तखत कर लोग वापस लौट जाते हैं, एक तरफ सरकार किसानों की हितैषी होने का दावा करती है, दूसरी ओर सरकारी कर्मचारी किसानों को लूटने में लगे हुए हैं।                                                                ‌      आम जनता रिस्वत इस खोरी से त्रस्त होकर इस प्रतिनिधि को अपना दर्द बयां करते हुए कहा है कि इसकी उच्च स्तरीय जांच कराके दोषियों पर कड़ी कार्रवाई किया जाए ।


पत्रकार उत्तम साहू ने आम जनता से अपील किया है कि शासकीय कार्यालयों में रिश्वत की मांग करने पर हमसे इस नंबर पर 7389950798 संपर्क करें हम आपके मदद जरूर करेंगे


 



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