वन विभाग के अधिकारियों की देखरेख में हुए करोड़ों के भ्रष्टाचार

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 वन विभाग के अधिकारियों की देखरेख में हुए करोड़ों के भ्रष्टाचार  

मामला 2022-23 में धमतरी वनमंडल के नगरी परिक्षेत्र में स्टाप डेम निर्माण का 

तत्कालीन डीएफओ, वर्तमान एसडीओ और रेंजर भ्रष्टाचार में लिप्त 



उत्तम साहू 

शासकीय कार्यों में योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन में पारदर्शिता, जवाबदेही और ईमानदारी सर्वोपरि है।” लेकिन इसके विपरित जिम्मेदार अधिकारियों के संरक्षण में विकास के राशियों का जमकर बंदरबाट किया गया है, इसके बावजूद अधिकारियों पर आज तक कोई कार्यवाही नहीं किया गया है।


नगरी/ छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में राज्य सरकार ने भ्रष्टाचार के प्रति ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति अपनाई है, जिसके तहत दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा रही है। अपने सख्त रवैए से मुख्यमंत्री ने एहसास दिला दिया है कि अब किसी भी स्तर पर भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।भ्रष्टाचार और अनियमितताएं विकास के मार्ग में सबसे बड़ा अवरोध होती हैं।


दरअसल वित्तीय वर्ष 2022-23 में कैंपा मद से नरवा विकास योजना के तहत वन परिक्षेत्र नगरी में भालू पानी नाला और गज कन्हार में करोड़ों रुपए की लागत से स्टाप डेम बनाया गया था, इसके निर्माण में भारी अनियमितता बरती गई, निर्माण कार्य में मानकों की पूरी तरह से अनदेखी की गई। ठेकेदार के द्वारा मनमाने तरीके से काम किया गया,और विभाग के जिम्मेदार अधिकारी आंखे बंद कर बैठे रहे। उच्च अधिकारियों की उदासीनता से ठेकेदार को खुली छूट मिल गई, जिसके चलते स्टापडेम पहली ही बारिश में ही टूट कर बह गया, और यह निर्माण कार्य पूरी तरह से भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया है। 

जबकि भ्रष्टाचार उजागर होने के बाद भी एसडीओ और रेंजर आज भी अपने पद पर कार्यालय में जमे हुए हैं। ऐसे में भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं होने से बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है। 


इसके अलावा धमतरी वनमंडल के अंतर्गत कैंपा मद से वर्ष 22-23 में जितने भी कार्य हुए हैं जैसे मुख्य रूप से सड़कें, चेक डैम, तालाब, और वन्यजीवों के लिए पानी के स्त्रोत का निर्माण इसके अतिरिक्त, जानवरों के चारे के लिए पेड़ लगाना, वन्यजीवों के लिए आवास बनाना, और जंगलों की सुरक्षा के लिए बाड़ लगाना जैसे कार्यों की उच्च स्तरीय जांच होगी तो सुनियोजित रूप से बड़े पैमाने पर किए गए भ्रष्टाचार का खुलासा हो जाएगा।


वन विभाग में करोड़ों का घोटाला सामने आने के बाद विभाग के अफसर के द्वारा इस कार्य पर लीपापोती किया गया है, इसके बावजूद स्टाप डेम में भ्रष्टाचार होने का स्पष्ट प्रमाण दिखाई दे रहा है। जिसके जिम्मेदार तत्कालीन डीएफओ वर्तमान एसडीओ और रेंजर है। इन अधिकारियों की ‌मिलीभगत से शासन को करोड़ों की छति हुई है। जिसकी भरपाई अधिकारियों से रिकवरी कर किया जा सकता है।

 

     अधिकारी मिडिया को जानकारी नहीं देते 


छत्तीसगढ़ के संवेदनशील मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के द्वारा सुशासन तिहार के दौरान स्पष्ट किया है कि शासकीय योजनाओं में भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने प्रशासन में पारदर्शीता के साथ काम करने अधिकारियों को स्पष्ट रूप से निर्देशित करते कहा है कि योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन में पारदर्शिता, जवाबदेही और ईमानदारी सर्वोपरि है।”लेकिन नगरी में वन विभाग के एसडीओ और रेंजर मुख्यमंत्री के निर्देश को नजरंदाज कर मनमानी पूर्वक जंगल के अंदर होने वाले शासकीय कार्यों को गुपचुप तरीका से कराया जाता है, जब मीडिया वालों के द्वारा जानकारी मांगा जाता है तो किसी भी तरह कि जानकारी देने से इंकार किया जाता है, इससे यही प्रतीत होता है कि अधिकारी के द्वारा अपने भ्रष्टाचार को छुपाने के लिए जानकारी नहीं दिया जाता है, 


कार्यालय में बाबू का कार्य वन कर्मी से कराया जा रहा है 


 वन परिक्षेत्र कार्यालय नगरी में विगत 40 वर्षों से जमे हुए एक वन कर्मचारी से बाबू का कार्य कराया जा रहा है, उक्त वन कर्मी का मूल निवास नगरी है जो 40 वर्ष पूर्व दैनिक वेतन भोगी के रूप इसी कार्यालय में कार्यरत था जिसे शासन के द्वारा वन कर्मी के पद पर नियमित किया गया है, तब से लेकर आज तक उक्त वनकर्मी बाबू का कार्य किया जा रहा है।

सूत्रों की मानें तो उक्त वनकर्मी का काफी दबदबा है कई बार ट्रांसफर भी हुआ है लेकिन उच्च अधिकारियों से मिली भगत और सांठगांठ करके कार्यालय में जमे हुए हैं, बताया गया है कि अधिकारी भी उनके कहे अनुसार कार्य करता है। उक्त वनकर्मी को नगरी कार्यालय से तुरंत हटाने की मांग हो रही है।


पत्रकार से दुर्व्यवहार करने वाले एसडीओ पर हो कार्रवाई 


भ्रष्टाचार में लिप्त और हमेशा कार्यालय से गायब रहने वाले एसडीओ जितेन्द्र साहू से जब पत्रकार ने इन मुद्दों को लेकर सवाल किया तो जवाब देने के बजाय भड़क गए और पत्रकार से दुर्व्यवहार करते हुए बदसलूकी करते हुए कहा कि तुम कौन हो मैं तुम्हारे सवालों का जवाब देने बाध्य नहीं हूं, तुमको जो करना है कर लो, एक जिम्मेदार अधिकारी के पद पर बैठे अधिकारी के इस रवैए से पत्रकार की गरिमा को ठेस पहुंचा है, 

जिसकी शिकायत वरिष्ठ अधिकारी से किया गया है। पत्रकार ने ऐसे कर्तव्यनिष्ठ और भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारी पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई करने की मांग किया है। पत्रकार समाज और लोकतंत्र की रीढ़ है। जो दिन-रात जनता के मुद्दे उठाता है, सत्ताधीशों से सवाल करता है और सूचनाओं को आमजन तक पहुँचाता है, लेकिन वही सबसे अधिक असुरक्षित दिखाई दे रहा है। अब देखना होगा कि उक्त अधिकारी पर क्या कार्रवाई होता है..? 






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