छत्तीसगढ़ का अनोखा गांव..जहां एक हफ्ते पहले मनी दिवाली!

0

 


छत्तीसगढ़ का अनोखा गांव..जहां एक हफ्ते पहले मनी दिवाली!

सेमरा (सि) गांव में आज लक्ष्मी पूजा, कल होगी गोवर्धन पूजा – सैकड़ों साल पुरानी परंपरा का निर्वहन



उत्तम साहू 

धमतरी/कुरूद- पूरे देश में जहां 22 अक्टूबर को दीपावली का पर्व मनाया जाएगा, वहीं धमतरी जिले के सेमरा (सि) गांव में दिवाली का उल्लास पहले ही शुरू हो गया है। यहां के लोग अपनी सदियों पुरानी परंपरा के अनुसार एक सप्ताह पहले ही दीपोत्सव मना लेते हैं।

रविवार की रात गांव में गौरा जागरण की रस्म निभाई गई, और आज रात पूरे विधि-विधान के साथ मां लक्ष्मी की पूजा की जाएगी। वहीं कल यानी 15 अक्टूबर को गोवर्धन पूजा का आयोजन होगा। इस मौके पर गांव में छत्तीसगढ़ी सांस्कृतिक कार्यक्रमों की भी धूम रहेगी।


🎭 सांस्कृतिक माहौल में झूमेगा गांव

ग्रामीणों के मनोरंजन के लिए विशेष कार्यक्रम रखे गए हैं —

14 अक्टूबर की रात नवा किरण नाचा पार्टी (भंवरपुर, डोंगरगढ़)

15 अक्टूबर को जय सूर्य नाचा पार्टी (रानीदहरा, कवर्धा) अपनी प्रस्तुति देंगे।

दीपावली मनाने के बाद यहां के ग्रामीण निर्धारित तिथि अनुसार ही धनतेरस और नरक चतुर्दशी में दीप प्रज्वलित करेंगे।


🙏 सदियों पुरानी मान्यता – अनहोनी से बचने का उपाय

गांव के सरपंच छबिलेश सिन्हा, ग्रामीण कामता निषाद, गजेंद्र सिन्हा और अन्य बुजुर्गों ने बताया कि यहां सिर्फ दिवाली ही नहीं, बल्कि हरेली, होली और पोला जैसे चार प्रमुख त्यौहार भी एक सप्ताह पहले मनाए जाते हैं।

उनका कहना है कि, "एक साथ त्योहार मनाने से अनहोनी की आशंका रहती थी, इसलिए पूर्वजों ने पहले ही पर्व मनाने की परंपरा शुरू की, जो आज तक जारी है।"


🌾 ग्राम देवता 'सिरदार' से जुड़ी किवदंती

गांव में यह परंपरा ग्राम देवता सिरदार की आराधना से जुड़ी है। मान्यता है कि सैकड़ों वर्ष पूर्व एक वृद्ध साधु ‘सिरदार’ यहां आए और स्थायी रूप से बस गए। लोगों ने उन्हें देवता मानकर पूजना शुरू किया।

उनके निर्देश पर ही गांव में चार प्रमुख त्योहारों को तय तिथि से एक सप्ताह पहले मनाने की परंपरा शुरू हुई।

आज भी यह परंपरा न केवल सेमरा(सि) बल्कि बालोद और दुर्ग जिले के करीब 40 गांवों के लोगों को आकर्षित करती है।


परंपरा जो जोड़े रखती है समाज को

गांव के वरिष्ठ नागरिक सुधीर बल्लाल, चन्द्रहास सिन्हा, पंडित ओमप्रकाश तिवारी और घनश्याम देवांगन ने कहा.“हमारे पूर्वजों की यह अनूठी परंपरा हमारी आस्था और एकता का प्रतीक है। आने वाली पीढ़ियों तक इसे कायम रखेंगे।”


Post a Comment

0Comments

Please Select Embedded Mode To show the Comment System.*

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Accept !