मगरलोड ब्लॉक का राजाडेरा बांध टूटा..भ्रष्टाचार का काला खेल उजागर, किसानों की मेहनत माटी में
उत्तम साहू
धमतरी- मगरलोड/ क्षेत्र के राजाडेरा बांध के टूटने से एक बार फिर जलसंसाधन विभाग के भ्रष्टाचार की पोल खुल गई है। यह हादसा केवल मिट्टी और पानी का नहीं, बल्कि किसानों की मेहनत, उम्मीदों और जीवनयापन का विनाश है। करोड़ों रुपए की लागत से बना यह बांध पहले से ही भ्रष्टाचार का प्रतीक बन चुका था, जिसकी हालत मेंटनेंस के नाम पर किए गए कागजी खर्च की पोल खोल रही है।
जानकारी के अनुसार, मगरलोड ब्लॉक में तीन प्रमुख बांध हैं — बकोरी जलाशय, बेलौरा और राजाडेरा बांध। लेकिन हकीकत यह है कि इन बांधों से किसानों को कोई वास्तविक लाभ नहीं मिल रहा। सारा फायदा सिर्फ जलसंसाधन विभाग और ठेकेदारों की जेबों में जा रहा है। हर साल मेंटनेंस के नाम पर करोड़ों रुपए का खेल खेला जाता है, जबकि जमीनी हकीकत यह है कि बांधों की दीवारें कब की कमजोर हो चुकी हैं।
राजाडेरा बांध के टूटने से आसपास के कई गांवों को अलर्ट जारी किया गया है। किसानों की खड़ी फसलें पूरी तरह तबाह हो गई हैं, खेत जलमग्न हो गया हैं और ग्रामीणों में भारी आक्रोश व्याप्त है।
ग्रामीणों का कहना है कि “अगर समय रहते सही मरम्मत की जाती, तो आज हमारा सबकुछ बर्बाद नहीं होता। अधिकारियों ने सिर्फ कागज़ों पर काम किया और अब उसकी कीमत हमें चुकानी पड़ रही है।”
यह हादसा केवल एक तकनीकी विफलता नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा का जीता-जागता उदाहरण है। राजाडेरा बांध का टूटना यह साबित करता है कि शासन-प्रशासन की लापरवाही और ठेकेदारी तंत्र की बंदरबांट ने किसानों की जिंदगी से खुला मजाक किया है।
ग्रामीणों ने दोषी अधिकारियों और ठेकेदारों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है, ताकि भविष्य में ऐसे भ्रष्टाचारजन्य अपराधों की पुनरावृत्ति न हो।
📢 अब सवाल यह है — करोड़ों का मेंटनेंस बजट आखिर गया कहां?
बांध टूटा, फसलें डूबीं, किसान रोए... और भ्रष्टाचारियों की जेबें फिर भी भरी की भरी रहीं।

