ब्रह्माकुमारीज बिरगुडी़ (नगरी) के तत्वधान में ग्राम खड़पथरा मे पांच दिवसीय श्रीमद् भागवत गीता ज्ञान यज्ञ का आयोजन

 ब्रह्माकुमारीज बिरगुडी़ (नगरी) के तत्वधान में ग्राम खड़पथरा मे पांच दिवसीय श्रीमद् भागवत गीता ज्ञान यज्ञ का आयोजन 


उत्तम साहू नगरी 

धमतरी/नगरी - प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय तत्वाधान में ग्राम खड़पथरा में दिनांक 13 जून से 17 जून तक समय शाम 5: बजे से 6:30 बजे तक आयोजित है,आध्यात्मिक गीता ज्ञान के प्रवचन कर्ता राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी साधना बहन जी ब्रम्हाकुमारी मुलेश्वरी बहन एवं अतिथि के रूप में श्रीमती बिसन्तीन पालेश्वर( सरपंच खडपथरा) श्री रामदयाल पालेश्वर (रिटायर्ड सीईओ) श्रीमती रेखा पालेश्वर (रिटायर्ड प्रिंसिपल) श्रीमती कंचन ध्रुव साथ ही गांव से आए हुए गणमान्य नागरिक प्यारे प्यारे बच्चे एवं संस्था के भाई बहन उपस्थित रहे कार्यक्रम की शुरुआत अतिथियों का स्वागत करके किया गया एवं दीप प्रज्वलित किया गया 


श्रीमती रेखा पालेश्वर श्रीमती बिसन्तीन पालेश्वर श्री रामदयाल पालेश्वर श्रीमती कंचन ध्रुव एवं सभी गांव वासियों की तरफ से ब्रम्हाकुमारी साधना बहन का एवं मुलेश्वरी बहन का शॉल एवं श्रीफल के द्वारा सम्मान किया गया राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी साधना बहन ने कहा कि यह जो 5 दिन से श्रीमद भगवत अध्यात्मिक गीता ज्ञान यज्ञ है इन 5 दिनों में हम श्रीमद्भगवद्गीता रामायण और महाभारत पर आधारित उन शिक्षाओं को सुनेंगे और धारण करेंगे जिससे हमारा जीवन तनाव से मुक्त और सुख शांति से भरपूर होगा इन पुराणों में ऐसी बातें लिखी हुई है जो हमें दुख से मुक्त कर सकते हैं गृहस्थ जीवन में रहते हुए खुशी का अनुभव करा सकते हैं तो आज के वर्तमान समय गीता ज्ञान की आवश्यकता के बारे में बताते हुए कहा के जीवन में गीता ज्ञान की जरूरत तब पड़ती है जब महाभारत जैसे स्थिति निर्मित हो जाती है उस महाभारत में भी दुर्योधन दुशासन जैसे लोग थे जैसे उस समय भी चीरहरण हो रहा था और सब शांत थे घर परिवार में युद्ध समाज में युद्ध देश में युद्ध बीमारियां अचानक बदलती परिस्थितियां और अनेक बातें हो रही है आज भी महाभारत जैसी परिस्थितियां घट रही है और यह महाभारत जैसी घटनाओं के कारण गीता ज्ञान की बहुत ही आवश्यकता महसूस हो रही है गीता के बहुत सुंदर महावाक्य है जो हुआ अच्छा हुआ, जो हो रहा है अच्छा हो रहा है, और जो होने वाला है वह बहुत बहुत अच्छा होने वाला है |गीता का एक महत्वपूर्ण श्लोक है -" कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन "अर्थात हम सिर्फ अपने श्रेष्ठ कर्म पर ध्यान दें फल की चिंता ना करें तो निश्चिंत कर देती है हमें श्रीमद्भगवद्गीता तो हमारा जीवन सुखमय हो सकता है हम जीवन के हर क्षेत्र में उन्नति को प्राप्त कर सकते हैं एवं कार्यक्रम का संचालन श्रीमती रेखा बालेश्वर जी ने किया|

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