राजिम में टूट सकता है कांग्रेस का तिलस्म..स्थानीय प्रत्याशी का मुद्दा कांग्रेस पर भारी

 राजिम में टूट सकता है कांग्रेस का तिलस्म..स्थानीय प्रत्याशी का मुद्दा कांग्रेस पर भारी



गरियाबंद। राजिम विधानसभा को वैसे तो कांग्रेस का गढ़ माना जाता है, किन्तु एक बार फिर तिलस्म टूटने की संभावना है। प्रमुखतः यहां से भाजपा के रोहित साहू और कांग्रेस के चिर परिचित प्रत्याशी अमितेश शुक्ल के बीच सीधी प्रतिद्वंदिता है। भाजपा ने लगभग 3 माह पूर्व ही यहां से रोहित साहू को अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया था, तब से लेकर अब तक रोहित साहू क्षेत्र के लगभग सभी गांवों में सघन जन सम्पर्क कर चुके हैं। जबकि कांग्रेस पार्टी की ओर से प्रत्याशीयों की सूचि व घोषणा पत्र जारी करने में विलंब किया गया।

राजिम विधान सभा में वैसे तो शुक्ल परिवार का वर्चस्व रहा है किंतु पारंपरिक किले को 2003 में भाजपा के चंदूलाल साहू व 2013 में संतोष उपाध्याय ने भेद दिया था। जबकि 2018 के चुनाव में अमितेश शुक्ल ने 58 हजार वोटों से रेकॉर्ड जीत दर्ज कराई थी। कांग्रेस प्रत्याशी अमितेश शुक्ल को इन 58 हजार वोंट का बहुत मान और भरोसा अभी तक है किंतु साहू बाहुल्य क्षेत्र में जातिगत समीकरण एवं स्थानीयता का मुद्दा उठाकर भाजपा ने उन्हें इस बार कड़ी चुनौती दे रखी है।

भाजपा ने प्रारम्भिक कड़े विरोध के बाद भी राजिम विधानसभा से अपना प्रत्याशी नही बदला, जिसके कारण युवा रोहित साहू का जुझारू व्यक्तित्व तथा स्थानीय निवासी होना है। जबकि बीजेपी के आरोप में अमितेश शुक्ल को बाहरी करार दिया जाता है, हालांकि शुक्ल भी स्थानीय निवासी होने का दावा करते हैं। किंतु भाजपा द्वारा किरवई स्थित श्याम कुटीर को कागजी खानापूर्ति बताया जाता है।

उल्लेखनीय है कि यह क्षेत्र पूर्व मुख्यमंत्री स्वः पं.श्यामाचरण शुक्ल की कर्मभूमि रही है। वे लगातार यहां का प्रतिनिधित्व करते रहे है। इसके साथ ही संत कवि स्वः पवन दीवान की जन्मभूमि भी राजिम क्षेत्र ही है। इस क्षेत्र में प्रतिनिधित्व के लिये श्यामाचरण शुक्ल और विधाचरण शुक्ल के रहते लोकसभा और विधानसभा में कांग्रेस की टिकट पर शुक्ल बंधुओं का एकाधिकार सा रहा है। जिसमें पवन दीवान जैसे बड़े राजनैतिक सामाजिक व लोकप्रिय व्यक्तित्व को भी जीवन भर अवसर की प्रतीक्षा करनी पड़ी।

इसे विडम्बना कहिये या कुछ और कांग्रेस यहाँ से स्थानीय प्रत्याशी अब तक नही तलाश पायी है। वैसे भी शुक्ल परिवार की कांग्रेस आला कमान तक सीधे पहुंच सर्वविदित है। विरोधियों के अनुसार इसी पहुंच के बल पर राजिम में पैरासूट उम्मीदवार कांग्रेस की मजबूरी है। बहुत से कारण और भी हो सकते हैं, जिनकी वजह से राजिम क्षेत्र में कांग्रेस को कोई अन्य विकल्प ना मिल पा रहा हो किन्तु जनता के पास विकल्प मौजूद हैं।

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