अक्ती त्योहार पर गुड्डे-गुड़ियों की धूम धाम से कराई गई शादी. इस अनोखी शादी में नटखट ग्रुप के साथ ग्रामवासी हुए शामिल

 

अक्ती त्योहार पर गुड्डे-गुड़ियों की धूम धाम से कराई गई शादी.

इस अनोखी शादी में नटखट ग्रुप के साथ ग्रामवासी हुए शामिल

 

उत्तम साहू/दबंग छत्तीसगढ़िया 

नगरी/ सांकरा - ग्राम हिंच्छापुर में अक्षय तृतीया (अक्ती)के दिन शुभ मुहूर्त में गुड्डे-गुड़ियों का विवाह किया गया, इस शादी में नटखट ग्रुप के सदस्यों के साथ ही बड़ी संख्या में ग्राम वासी शामिल हो कर परंपरा का निर्वाह किया गया,मिट्टी से बने गुड्डा-गुड़िया का ब्याह रचाते वक्त परिवार के लोग मिलकर वे सारी रस्में निभाते हैं, जो रस्में सचमुच की शादी में निभाई जाती है। सदियों से चली आ रही इस परंपरा के चलते आधुनिक दौर में आज भी गांव-गांव में शादियों के वक्त निभाई जाने वाली रस्मों में युवतियों, महिलाओं के अलावा बच्चियां भी पूरे उत्साह से शामिल हुई।




बता दें कि अक्षय तृतीया, जिसे आखा तीज के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू कैलेंडर में सबसे शुभ दिनों में से एक माना जाता है।बिना पंचांग देखे ही महामुहूर्त मानी जानी वाली अक्षय तृतीया को छत्तीसगढ़ में 'अक्ती' के रूप में जाना जाता है। गांव वालों के सामने यदि अक्षय तृतीया कहा जाए तो कम लोग ही समझेंगे है, लेकिन यदि अक्ती कहें तो हर कोई समझ जाएगा। माता-पिता अपने विवाह योग्य संतानों का विवाह इस दिन पंडितों, पुजारियों से पूछे बिना ही तय कर देते हैं। वे जानते हैं कि यह अबूझ यानी महामुहूर्त है। इस मुहूर्त में कोई भी कार्य करने से वह पुण्यदायी और फलदायी होता है।

गांव में ऐसी परंपरा है कि जिसके बेटा नहीं है, वह गुड्डा की बारात लेकर उस व्यक्ति के घर जाता है, जिसके कन्या नहीं होती। कन्याहीन माता-पिता बारात का स्वागत करके उसके गुड्डे के साथ अपनी गुड़िया का ब्याह रचाते हैं। इसमें रिश्तेदार, गांव वाले जोशोखरोस से शामिल होते हैं। आज भी कई गांवों में यह परंपरा जीवित है। गुड्डा-गुड़िया का ब्याह रचाते समय दोनों पक्ष के लोग बाकायदा तालाब से चूलमाटी लेने जाते हैं। देवी-देवता को प्रतिष्ठापित करते हैं, आमपत्ता, डुमर पेड़ के पत्तों से मंडपाच्छादन यानी मंडप सजाते हैं। इसके बाद गुड्डा-गुड़िया को तेल, हल्दी चढ़ाने की रस्म निभाते हैं। देवतला अर्थात देवगणों को न्योता भी दिया जाता है।



इस शादी के आयोजन में बकायदा निमंत्रण पत्र छपवाए गया हैं। पूरे मोहल्ले को आमंत्रित करके शादी की रस्म निभाकर भव्य रिसेप्शन में सचमुच की शादी की तरह खानपान का आयोजन भी किया गया।







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