क्या होती है दो जून की रोटी, दुनिया के 42 प्रतिशत लोगों को नहीं होती नसीब..
शनिवार से जून का महीना शुरू हो गया है। और आज रविवार को आएगी एक खास तारीख, दो जून 2024 (2 June 2024)। इस तारीख को लेकर एक कहावत सालों से चली आ रही है जो खास कहावत है 2 जून की रोटी, क्या आप जानते हैं आखिर क्यों कहते हैं, यदि नहीं तो चलिए आज हम आपको बताते हैं कि आखिर दो जून की रोटी से क्या मतलब है। इसका कुछ शाब्दिक अर्थ है या ऐसे ही कहा जाता है दो जून की रोटी।
दरअसल दो जून एक कहावत है। पर ये एक अवधी भाषा का शब्द है। अवधि भाषा में जून का अर्थ होता है वक्त यानी समय। यानी दोनों समय का भोजन। इसलिए पुराने जमाने में बुजूर्ग सुबह शाम के भोजन को दो जून की रोटी के साथ संबोधित करते थे।कहते हैं हर किसी के नसीब में दो जून की रोटी नहीं होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि आज के समय में बेरोजगारी, भ्रष्टाचार इतना बढ़ गया है कि गरीबों को दो जून की रोटी नसीब नहीं होती है।
दो जून की रोटी के लिए सरकार की योजनाएं
गरीबों को दो जून की रोटी यानी भोजन मिलता रहे इसके लिए सरकार कई योजनाएं भी चला रही है। आपको बता दें प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना यानी पीएमजीकेएवाई एक ऐसी योजना है जो भारत में गरीब लोगों को मुफ्त खाद्यान्न देती है।इस योजना का शुभारंभ चार साल पहले अप्रैल 2020 में कोविड महामारी के दौरान लोगों की मदद के लिए किया गया था। इसमें हर लाभार्थी को हर महीने 05 किलो मुफ्त अनाज दिया जाता है। ये योजना सब्सिडी के साथ दिए जाने वाले राशन के अलावा है।
साल 2017 में आए नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के अनुसार, देश में 19 करोड़ लोग ऐसे हैं, जिन्हें सही तरीके से भोजन नहीं मिल पा रहा है. इसका मतलब यह हुआ कि करोड़ों लोगों को आज भी भूखे पेट ही सोना पड़ता है. हालांकि, सभी लोगों को दो जून की रोटी नसीब हो सके, इसके लिए केंद्र सरकार कोरोनाकाल से ही मुफ्त में राशन मुहैया करवा रही है, जिसका 80 करोड़ जनता को सीधा फायदा मिल रहा है.
दो जून की रोटी के लिए अन्नदाता को धन्यवाद
दो जून की रोटी को लेकर जो सबसे बड़ा प्रथम चरण होता है जिसे हमें धन्यवाद देना चाहिए वो हैं हमारे किसान भाई। इसलिए दो जून की रोटी के लिए किसान भाई दिन रात मेहनत करके एक बीज से पौधा बनने तक साल भर मेहनत करते हैं। तब कहीं जाकर हमें दो जून की रोटी के लिए अनाज मिलता है।