नगरी सिहावा अंचल में हरेली तिहार धूम धाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया गया

 नगरी सिहावा अंचल में हरेली तिहार धूम धाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया गया 




इस दौरान किसानों ने किया पारंपरिक रूप से अपने कृषि औजारों की पूजा


हरेली तिहार के साथ शुरू हो जाएगा छत्तीसगढ़ में त्योहार का दौर,

उत्तम साहू 

नगरी/ हरेली का त्योहार छत्तीसगढ़ का एक महत्वपूर्ण और प्राचीन त्योहारों में से एक है. इस तिहार को ग्रामीण परिवेश में सबसे ज्यादा और बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है. हरेली शब्द का अर्थ हरियाली से है. इस त्योहार का मुख्य उद्देश्य खेती और हरियाली के महत्व को बताता है.किसान अपने खेतों की अच्छी फसल और समृद्धि की कामना करते हैं, ताकि उनकी फसल हरी भरी रहे और राज्य भी हमेशा सुख समृद्धि की ओर आगे बढ़े. इसी कामना को लेकर किसान हरेली तिहार बड़े ही धूमधाम से मनाते हुए सुख समृद्धि की कामना कर पूजा अर्चना करते हैं, और भगवान को मीठे पकवान लगाते हैं. 

 छत्तीसगढ़ में आज से शुरू हो जाएगा त्योहार का दौर, 

छत्तीसगढ़ में परंपरा और संस्कृति को जीवित रखने के लिए हरेली एक महत्वपूर्ण त्योहार है. इस त्योहार के माध्यम से लोग अपने धरोहर और पूर्वजों की परंपरा को संजोए रखते हैं. प्रदेश के लोगों के लिए खुशी की बात है कि आज से इस त्योहार का दौरा शुरू हो जाएगा,

बता दें कि छत्तीसगढ़ में कृषि का अलग ही महत्व है और यह प्रदेश अपने परंपरागत खेती के लिए भी अपनी पहचान रखता है. कृषि कार्यों में सबसे ज्यादा कृषि उपकरणों का प्रयोग होता है. इसलिए हरेली त्योहार के दौरान लोग अपनी पारंपरिक वेशभूषा तो पहनते ही हैं, इसके अलावा किसान अपने खेतों में उपयोग किए जाने वाले हल, गेती, हसिया, रापा,कुल्हाड़ी, बसूला,सब्बल सहित अन्य कृषि उपकरणों की पूजा अर्चना कर आशीर्वाद लेते हैं, त्योहार की इस अवसर पर छत्तीसगढ़ के विभिन्न पारंपरिक मीठे पकवान भी बनाए जाते हैं. जिसमें चावल दाल सब्जी तो है ही है इसके अलावा सबसे प्रमुख पकवान होता है चीला, गुलगुला भजिया, बरा. इन पकवानों को महिलाओं के द्वारा बड़े ही उत्साह के साथ घर के सदस्यों के द्वारा मिलकर बनाया जाता है. इस निर्माण में सामाजिक महत्व भी बहुत अधिक होता है क्योंकि घर के सभी लोग मिलजुल कर इस कार्य को करते हैं.

    घर वाहनों व प्रतिष्ठानों में नीम की डाली लगाई जाती है

हरेली त्योहार के अवसर पर यादव समाज के लोग गायों की सेवा करते हैं. उसे चराते हैं उनके द्वारा किसानों के घरों में पहुंचकर नीम की डाली लगाई जाती है, और व्यापारी के दुकानों व वाहनो में भी जाकर नीम की डाली लगाकर उन्हें सुख समृद्धि की कामना करते हैं ताकि उनका रोजगार और घर यूं ही उनके दिए हुए सहयोग से चलता रहे.







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