छत्तीसगढ़ राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग में भी आदिवासी परिवार को नहीं मिल पा रहा है न्याय.. पढ़िए पूरी खबर

0

 छत्तीसगढ़ राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग में भी आदिवासी परिवार को नहीं मिल पा रहा है न्याय.. पढ़िए पूरी खबर 

मामला धमतरी जिले के नगरी में आदिवासी परिवार के नौ एकड़ जमीन को गैर आदिवासी परिवार द्वारा फर्जी रूप से रजिस्ट्री कराने का

पीड़ित आदिवासी महिला न्याय की आश में दर दर भटकने को मजबूर



जांच अधिकारी बिना जांच किए ही जांच रिपोर्ट करते हैं तैयार,और शिकायत को बताते हैं निराधार 

 धमतरी/ नगरी- छत्तीसगढ़ राज्य में अनुसूचित जनजातियों की जनसंख्या को ध्यान में रखते हुए छत्तीसगढ़ राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग का गठन किया गया है। आयोग का कार्य अनुसूचित जनजातियों के संवैधानिक अधिकारों से वंचित लोगों के शिकायतों की जांच करना है। ताकि पीड़ित आदिवासी परिवारों को उनके हक और अधिकार के तहत न्याय मिल सके,लेकिन इसे दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि आदिवासी आयोग में भी आदिवासी परिवार को न्याय नहीं मिल रहा है, पीड़ित आदिवासी महिला न्याय पाने की आस में आयोग का दरवाजा खटखटाया था लेकिन लगभग दो वर्ष बीतने के बाद भी आयोग के कई चक्कर लगाने के बाद भी,आज तक पीड़ीता को न्याय नहीं मिल सका है, आदिवासियों के हक और अधिकार के लिए बड़ी-बड़ी बातें होती है लेकिन यह सब बातें भाषण और कागजों तक सिमट कर रह गई है यहां पर तो खुद आदिवासी प्रतिनिधि ही आदिवासी समाज के शोषण करने में लगे हुए हैं, आर्थिक रूप से दबे कुचले पीड़ित आदिवासी परिवारों को न्याय के लिए भटकना पड़ रहा है ऐसे में आदिवासी हितों की बात करना बेमानी होगी।


       जानिए क्या है पूरा मामला

 

बता दें कि आदिवासी विकास खंड नगरी के दमकाडीही चुरियारा निवासी गरीब आदिवासी परिवार के जबर्रा रोड स्थित 9 एकड़ भुमि को एक रसूखदार साहू परिवार के द्वारा बलपूर्वक दादागिरी करके इस भुमि पर कब्जा कर लिया है, इसके बाद अधिकारियों से मिली भगत करके फर्जी रूप से रजिस्ट्री करवा लिया है,और रजिस्ट्री कराने के बाद जमीन पर वर्षों से लगे हुए सैंकड़ों पेड़ों को कटवा कर वन विभाग से 30 लाख रुपए का मुआवजा भी प्राप्त कर लिया है, इधर पीड़ित आदिवासी परिवार अपने जमीन को वापस पाने और रजिस्ट्री को निरस्त कराने के लिए दर-दर भटक रहा है, लेकिन कर्तव्य विहिन अधिकारियों के कार्यशैली की वजह से इस आदिवासी परिवार को न्याय नहीं मिल पा रहा है, बता दें कि दमकाडीही की इस आदिवासी विधवा गरीब महिला के पति और ससुर ने जमीन हड़पने की शिकायत करते हुए 170(ख) के तहत नगरी के अनुविभागीय अधिकारी राजस्व के न्यायालय में मामला दर्ज कराया था, प्रकरण की सुनवाई के दौरान एसडीएम ने पाया कि आदिवासी की जमीन को इन दबंगों के द्वारा छल कपट एवं बलपूर्वक कब्जा करना पाया गया, तब एसडीएम ने इस जमीन को आदिवासी परिवार को वापस दिलाने तहसीलदार को निर्देशित किया था, इसके बाद इन साहू परिवार के लोग एसडीएम के आदेश को राजनीतिक संरक्षण के चलते गुप-चुप तरीके से निरस्त करवा कर जमीन की रजिस्ट्री फर्जी रूप से करवा लिया है,

गौरतलब है छत्तीसगढ़ भू राजस्व संहिता के अनुसार अनुसूचित क्षेत्र में आदिवासी की जमीन को गैर आदिवासी के नाम पर रजिस्ट्री नहीं हो सकता लेकिन यहां पर उच्च स्तरीय राजनीतिक संरक्षण में इस नियमों का खुलेआम उल्लंघन किया गया है और आदिवासी की जमीन को गैर आदिवासी के नाम पर रजिस्ट्री कर दिया गया है इसकी उच्च स्तरीय जांच होने पर मामले का खुलासा हो जाएगा


पीड़ित आदिवासी परिवार ने लगाया पूर्व विधायक लक्ष्मी ध्रुव पर दबंगों को संरक्षण देने का आरोप 


पीड़ित परिवार ने बताया कि पूर्व विधायक लक्ष्मी ध्रुव के द्वारा जमीन हड़पने वाले दबंग परिवार को खुलेआम संरक्षण देने का कार्य किया है, 218 में एसडीएम के द्वारा जमीन लौटान के फैसले के बाद विधायक ने अपने पद और पावर का दुरुपयोग कर उक्त एसडीएम का तबादला करवा दिया,और हमें बिना सुचना दिए बगैर विधायक ने राजनीतिक दबाव बना कर एसडीएम के आदेश को कलेक्टर से निरस्त करवा कर दिया गया है जबकि होना यह था कि आदेश निरस्त करने से पहले पीड़ित परिवार का पक्ष को भी जानना था लेकिन इस प्रकरण में ऐसा नहीं हुआ, और कलेक्टर ने बिना सुनवाई के एसडीएम के फैसले को निरस्त कर दिया गया, इसके बाद रजिस्ट्री करवाया गया है, 


जांच अधिकारी बिना जांच किए टेबल में बैठकर बनाते हैं जांच रिपोर्ट


बता दे कि उक्त पीड़ित आदिवासी परिवार कलेक्टर से लेकर राज्यपाल और अनुसूचित जनजाति आयोग तक न्याय की गुहार लगा चुके हैं,शिकायत पर उच्च कार्यालय से जांच करने का आदेश संबंधित विभाग के अधिकारी को दिया जाता है तो अधिकारी वस्तु स्थिति का जायजा नहीं लेते ना ही पीड़ित पक्ष का बयान लेते हैं और टेबल में बैठकर जांच रिपोर्ट तैयार कर देता है जिसमें लिखा होता है कि शिकायत में लगाया गया आरोप निराधार है, ऐसे जांच करने वाले अधिकारियों पर भी कड़ी सी कड़ी कार्रवाई हो


जो भी लोग फर्जी रजिस्ट्री में शामिल हैं उन पर एफआईआर दर्ज किया जाए 


अनुसूचित जनजातियों के सदस्यों के विरुद्ध होने वाले क्रूर और अपमानजनक अपराध के लिए बनाए कानून के तहत इन तीनों व्यक्तियों पर एफआईआर कराके मुकदमा दर्ज करना चाहिए, एवं आदिवासी की जमीन रजिस्ट्री को शून्य घोषित कर मालिक मकबूजा से मिले 30 लाख रुपए की राशि को आदिवासी परिवार को दिया जाना चाहिए,

इस मामले पर रिटायर्ड आदिवासी अधिकारियों की एक उच्च स्तरीय जांच कमेटी गठित कर मामले की जांच कराई जाए तभी मामले का खुलासा होगा अन्यथा विभागीय अधिकारी टेबल में बैठकर जांच करेंगे और दबंग परिवार के खिलाफ की गई शिकायत को निराधार बताते रहेंगे,इस प्रकरण पर जितने भी जांच हुए हैं उसकी जांच रिपोर्ट लेकर जांच अधिकारी के विरुद्ध कड़ी से कड़ी कार्यवाही किया जाए। ताकि आदिवासी मामले में कोई भी अधिकारी झूठी जांच रिपोर्ट नहीं बना सके,




 




Post a Comment

0Comments

Please Select Embedded Mode To show the Comment System.*

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Accept !