नगरी नगर पंचायत में कांग्रेस और बीजेपी का चुनाव प्रचार तेज राजनैतिक सरगर्मी उफान पर..मतदाता खामोश

  

 नगरी नगर पंचायत में कांग्रेस और बीजेपी का चुनाव प्रचार तेज राजनैतिक सरगर्मी उफान पर..मतदाता खामोश 

सियासी समीकरणों में बदलाव विरोधियों के माथे पर चिंता

लोगों की मन में एक ही सवाल किसके सर पर सजेगा ताज..


उत्तम साहू 

नगरी / नगर पंचायत चुनाव में समीकरण तेजी से बदल रहे हैं। कांग्रेस प्रत्याशी की स्थिति लगातार मजबूत होती जा रही है। शुरुआती सुस्ती के बाद अब कांग्रेस के प्रचार ने जोर पकड़ लिया है, जिससे मुकाबला दिलचस्प होता नजर आ रहा है।

बता दें कि यहां मुख्य मुकाबला भाजपा के बलजीत छाबड़ा और कांग्रेस के प्रेमन स्वर्णबेर के बीच है दोनों प्रत्याशी अब एक-दूसरे को मुख्य प्रतिद्वंद्वी मानकर चुनावी रणनीति बना रहे थे, लेकिन कांग्रेस के उभरते प्रभाव ने इस चुनावी गणित को नया मोड़ दे दिया है। जिसका सीधा असर चुनावी माहौल पर दिख रहा है। इधर कांग्रेस प्रत्याशी सामान्य और गरीब तबके के साथ ही एक वर्ग विशेष में गहरी पैठ रखते हैं। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यदि कांग्रेस ने इसी गति से अपना प्रचार अभियान जारी रखा, तो मुकाबले में बढ़त बना सकती है।

 चुनावी रेस में कांग्रेस की बढ़ती रफ्तार से भाजपा के लिए चुनौती बढ़ गई है। अब तक दोनों ही दल आपसी संघर्ष को प्राथमिकता दे रहे थे, लेकिन कांग्रेस के बढ़ते प्रभाव से उन्हें अब अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करना पड़ रहा है। विरोधी खेमों में इस बात की चर्चा तेज हो गई है कि यदि कांग्रेस ने अपनी पकड़ और मजबूत की, तो चुनावी समीकरण पूरी तरह बदल सकता है।


         भाजपा भी चुनाव प्रचार में पीछे नहीं 




जनता से सीधा जुड़ाव,विकास की नई परिभाषा को तरजीह देने वाले सहज सरल और ईमानदार छवि के भाजपा प्रत्याशी बलजीत छाबड़ा शहरी मतदाताओं के बीच डोर टू डोर जनसंपर्क कर भाजपा के पक्ष में माहौल बना रहे है। खासतौर पर शिक्षित वर्ग एवं युवाओं में उनकी मजबूत स्वीकार्यता देखने को मिल रही है। भाजपा के कार्यकर्ता भी अब पूरे जोश के साथ प्रचार में जुट गए हैं। यदि आने वाले दिनों में भाजपा अपनी रणनीति को और आक्रामक करती है, तो यह मुकाबला किसी भी ओर करवट ले सकता है। यदि प्रचार अभियान ने और गति पकड़ी, तो चुनावी समीकरण बदल सकती है। 

राजनीति में नई सोच लेकर उतरे बलजीत छाबड़ा न केवल नगर की समस्याओं से भली-भांति परिचित हैं, बल्कि उनके समाधान के लिए ठोस कार्ययोजना भी बनाया हैं। जनता से सीधे संवाद और हर घर तक अपनी पहुंच बनाने की कोशिश में वह निरंतर सक्रिय हैं। अब सवाल यह है कि भाजपा और कांग्रेस प्रत्याशी इस नए समीकरण से कैसे निपटेंगे? चुनावी मैदान में उठते-बैठते समीकरणों के बीच, अब अंतिम जीत किसकी होगी, यह देखना दिलचस्प होगा।









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