धमतरी..कांग्रेस के जिला अध्यक्ष को बदलने की उठने लगी मांग

 धमतरी..कांग्रेस के जिला अध्यक्ष को बदलने की उठने लगी मांग..

ग्रामीण क्षेत्रों से किसी निष्ठावान कार्यकर्ता को जिला अध्यक्ष बनाने से संगठन होगा मजबूत 

वर्तमान अध्यक्ष पर फूलछाप कांग्रेसी होने का आरोप..पंचायत चुनाव में हार के बाद कार्यकताओं में मायूसी 



उत्तम साहू 

धमतरी/ जिले में हुए पंचायत चुनाव में कांग्रेस की सूपड़ा साफ होने के बाद वरिष्ठ कार्यकर्ताओं में उदासी का आलम है, इसका मुख्य कारण जिला संगठन में बैठे नेताओं को बताया जा रहा है।         नगरी और मगरलोड के वरिष्ठ कांग्रेसी कार्यकर्ताओं ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया है कि पंचायत चुनाव में पार्टी को करारी हार मिली है इसके जिम्मेदार जिला अध्यक्ष शरद लोहान को बताया है, इन कार्यकताओं ने आरोप लगाया है कि जिला अध्यक्ष जमीनी स्तर पर संगठनात्मक ढांचे का अनदेखी करते रहे। चुनावी समर में कभी जिले का दौरा नहीं किया और धमतरी में बैठ कर अपनी रोटी सेंकने में व्यस्त रहे, शरद लोहाना एक ऐसे जिला अध्यक्ष हैं जिसे ग्रामीण क्षेत्रों के कार्यकर्ता पहचानते भी नहीं है। इसी तरह जिला अध्यक्ष भी वरिष्ठ कांग्रेसीयों‌ को नहीं पहचानते, ऐसे में संगठन धरातल में चला गया है, कार्यकर्ताओं ने यहां तक आरोप लगाया है कि जिला अध्यक्ष फूल छाप कांग्रेसी है, 

पंचायत चुनाव में कांग्रेस की हार का मुख्य कारण उसकी आंतरिक कलह है. जिला स्तर पर गुटबाजी, कार्यकर्ताओं की अनदेखी और शीर्ष स्तर पर लिए गए निर्णय पार्टी की स्थिति को कमजोर कर रहे हैं. कार्यकर्ता निराश हैं और नेतृत्व से अलगाव का अनुभव कर रहे हैं. चुनाव के समय तक कार्यकर्ताओं का मनोबल गिर जाता है, पार्टी के अंदर आंतरिक कलह उफान पर है. कार्यकर्ताओं से लेकर बड़े नेता और पदाधिकारियों के बयानों से अंदर की बातें भी अब खुलकर बाहर आने लगी है. 

     

       छत्तीसगढ़ कांग्रेस में आज बिखराव की स्थिति 


बस्तर से लेकर सरगुजा तक नेताओं के बीच सामंजस्य की कमी है. पार्टी की लाइन से अलग जाकर कहीं-कहीं नई लाइन खींचने की कोशिशें भी दिखती है. कहीं-कहीं से खुला विद्रोह दिख रहा है, तो कहीं-कहीं से गंभीर आरोपों के साथ अपने ही नेताओं की हाईकमान से शिकायतें तक भी. टिकट खरीदने-बेचने, पैसे लेने-देने, घात-भीतरघात, नेता फूलछाप जैसे अनगिनत आरोप लग रहे हैं, और लगाए जा रहे हैं. कहीं-कहीं से ऐसी बातें गुटों में एक-दूसरे से कहलवाए जा रहे हैं और ऐसी बातें चुनाव दर-दर चुनाव होती हार के बाद से लगातार पार्टी के अंदर हो रही है. 2023 विधानसभा चुनाव में हुई करारी हार के बाद से पार्टी के अंदर आंतरिक विवाद और गुटबाजी हावी है. इसका असर लोकसभा में दिखा, उपचुनाव में भी और निकाय-पंचायत चुनाव में भी. हर चुनाव में कांग्रेस पूरी तरह से बिखरी हुई नजर आई. परिणाम आज पार्टी संगठन में व्यापक बदलाव की हवा है. अध्यक्ष को बदलने की मांग उठ रही है. बड़े नेता एक-दूसरे के विरुद्ध बोल रहे हैं. इससे साफ जाहिर होता है कि कांग्रेस पार्टी में अंदर खाने सब कुछ ठीक नहीं है।


#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Accept !