आदिवासी अंचल में उज्ज्वला योजना हुई फेल,ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति सबसे खराब,कनेक्शन लेने के बाद हितग्राही नहीं भरा रहे गैस
उत्तम साहू
धमतरी/ नगरी - जिले के आदिवासी विकासखंड नगरी क्षेत्र में केंद्र सरकार की महत्वपूर्ण उज्ज्वला योजना कुछ वर्ष पहले गरीब परिवारों की महिलाओं के चेहरों पर खुशी लाने के उद्देश्य से केंद्र सरकार द्वारा 1 मई 2016 को इसकी शुरूवात की गई थी।जिसके तहत बीपीएल परिवारों के महिलाओं को निशुल्क गैस सिलेंडर और चूल्हा प्रदान किया गया था, लेकिन इस योजना का लाभ लेने के बाद अब हितग्राही गैस सिलेंडर नहीं भरा रहे हैं, जिससे योजना विफल साबित हो रही है।
गौरतलब हो कि वर्ष 2016 में केंद्र सरकार के द्वारा शहर और ग्रामीण अंचलों में निवासरत बीपीएल हितग्राहियों को धूंए और लकड़ी के चूल्हे से निजात दिलाने के लिए उज्जवला गैस योजना की शुरुआत की गई थी, इस योजना के तहत देश भर में करोड़ हितग्राहियों को योजना से जोड़ा गया, इसके बाद कुछ महीनो तक तो हितग्राहियों ने योजना का लाभ लिया, लेकिन धीरे-धीरे इस योजना से अब दूरी बनाने लगे हैं, मौजूदा स्थिति में यह हाल है कि शहर में तो योजना का लाभ हितग्राही ले रहे हैं लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में यह महज 20 से 30% तक सिमट कर रह गया है। पिछले तीन सालों का ही आंकड़ा उठा कर देखें तो इस आदिवासी अंचल में उज्ज्वला योजना के तहत 11250 कनेक्शन दिए गए हैं लेकिन रिफिलिंग लगभग 5 हजार सिलेंडरों का हो रहा है, मौजूदा समय में आम उपभोक्ता को 892 रुपए में सिलेंडर प्राप्त होता है, इस योजना के तहत बीपीएल हितग्राहियों को सब्सिडी राशि 367 रुपए प्राप्त होती है, और इन हितग्राहियों को गैस का दाम सिर्फ 525 रुपए पड़ता है, प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना जो स्वच्छ खाना पकाने का ईंधन प्रदान करती है, इस योजना का उद्देश्य महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य की रक्षा करना है। यह महिलाओं को धुएँ में पके व्यंजनों में उनके स्वास्थ्य को खतरे में डालने या जलाऊ लकड़ी की तलाश में असुरक्षित स्थानों पर भटकने से रोकता है। इसके बावजूद ग्रामीण क्षेत्रों में लोग उज्ज्वला योजना से मिले गैस सिलेंडर को रिफिलिंग कराने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं।