छत्तीसगढ़ की शान सरई बोड़ा ने दी बाजार में दस्तक, एक किलो 8 सौ रुपए तक,
नगरी सिहावा की सांस्कृतिक थाली में फिर से लौटी स्वाद और परंपरा की खुशबू
उत्तम साहू
नगरी/ बारिश की पहली बूंदो के साथ ही नगरी सिहावा क्षेत्र की धरती से एक बार फिर निकला है जंगलों का खजाना सरई बोड़ा सब्जी, जिसे छत्तीसगढ़ में ‘सब्जियों का राजा’ कहा जाता है। साल भर में एक बार मिलने वाली यह जंगली सब्जी अब बाजार में दिखने लगी है और इसकी कीमत सुनकर आप चौंक सकते हैं शुरुआती दिनों में करीब एक किलो बोड़ा 8 सौ से 1 हजार रुपए तक बिक रही है।
बता दें कि बोड़ा सब्जी खास तौर पर साल वृक्षों के नीचे मिट्टी से प्राकृतिक रूप से उगती है। जहां सरई पेड़ का जंगल अधिक हो उन इलाकों में इसकी भरपूर पैदावार होती है। खास बात यह है कि यह सिर्फ कुछ दिनों के लिए ही मिलती है और जितनी जल्दी आती है, उतनी ही जल्दी महंगे दामों में बिकती भी है। बोड़ा की सबसे बड़ी विशेषता इसका अनोखा स्वाद और सुगंध है। शाकाहारी इसे पनीर से भी बेहतर मानते हैं, वहीं मांसाहारी इसे चिकन जैसा स्वादिष्ट बताते हैं। यही कारण है कि इसकी मांग छत्तीसगढ़ के साथ-साथ ओडिशा जैसे पड़ोसी राज्यों में भी बनी रहती है।
नगरी सिहावा क्षेत्र की आदिवासी संस्कृति में बोड़ा का विशेष महत्व है। यह केवल एक सब्जी नहीं, बल्कि जीवनोपार्जन का साधन भी है। तेंदूपत्ता और महुआ के बाद, बोड़ा यहां के ग्रामीणों की आय का एक प्रमुख स्रोत बन गया है। मानसून के पहले ही इसके बाजार में उतरने की शुरुआत हो जाती है, और इस साल बारिश समय से पहले आई तो बोड़ा भी जल्दी बाजार में पहुंच गया। बाजारों में बोड़ा की भारी मांग है। शुरुआती दिनों में इसका स्वाद चखने के लिए लोग हजार रुपए से ज्यादा चुकाने को तैयार रहते हैं। यह स्वाद, सुगंध और यह परंपरा तीनों मिलकर बोड़ा को छत्तीसगढ़ की थाली का शाही हिस्सा बनाते हैं।
बोड़ा सिर्फ एक सब्जी नहीं, बल्कि प्रकृति का अनमोल तोहफा और यहां की सांस्कृतिक धरोहर है। यह प्रकृति का दिया गया वह उपहार है, जो साल भर इंतजार के बाद कुछ ही दिनों के लिए मिलता है। और इन दिनों में नगरी के जंगलों से लेकर बाजारों तक, और गांवों से लेकर रसोइयों तक, हर ओर बिखर जाती है बोड़ा की खुशबू।