छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना का मेगा कार्यक्रम..रविवार को निकलेगी "जबर हरेली रैली" आयोजन का 8 वां वर्ष

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छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना का मेगा कार्यक्रम..रविवार को निकलेगी "जबर हरेली रैली" आयोजन का 8 वां वर्ष

 छत्तीसगढ़ महतारी की महा आरती के साथ गुड़ के चीले एवं ठेठरी-खुरमी का बंटेगा महाप्रसाद 



उत्तम साहू, दबंग छत्तीसगढ़िया न्यूज 

दुर्ग/ छत्तीसगढ़ की लोकसंस्कृति की छटा बिखेरता एवं प्रकृति रक्षा का संदेश देता हुआ हरेली का त्योहार मनाने छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना के तत्वावधान में प्रदेश भर से हजारों लोग रविवार को भिलाई में इकट्ठे होंगे । रैली के संबंध में प्रशासन अपनी चुस्त-दुरुस्त तैयारी कर चुका है। संगठन इसे बड़े पैमाने पर पिछले एक दशक से लगातार मनाते आ रहा है । 

छत्तीसगढ़ में किसी भी सामाजिक संस्था के आयोजनों में भिलाई के जबर हरेली रैली को प्रमुख एवं विशालतम माना जाता है । यह कार्यक्रम छत्तीसगढ़िया संस्कृति का आईना है क्योंकि इस एक दिवसीय कार्यक्रम में ही बस्तरिहा मांदरी, सुवा, पंथी, करमा, गेड़ी,अखाड़ा,राऊतनाचा,डंडानृत्य जैसे छत्तीसगढ़ के लगभग हर कलाविधा का रैली के रुप में प्रदर्शन करते हुए सैकड़ों लोक कलाकार दस किलोमीटर की यात्रा करते चलते हैं । साथ में हजारों लोगों का जन-सैलाब चलता है । 


आयोजकों ने बताया कि इस बार की रैली में छत्तीसगढ़ महतारी एवं महापुरुषों की झांकी के अलावा प्रदेश की राजभाषा छत्तीसगढ़ी भाषा में पढ़ाई लिखाई एवं उसे कार्यालयीन भाषा बनाने का आह्वान करते हुए एक चलित झांकी भी रैली का मुख्य आकर्षण होगा। रैली अंबेडकर चौंक पावर हाउस से निकल कर सुपेला, सेंट्रल एवेन्यु होते हुए सभास्थल दशहरा मैदान पहुंचेगी जहां हल और कृषि औजारों की पूजा के बाद छत्तीसगढ़ महतारी की महाआरती होगी इसके साथ ही छत्तीसगढ़ के पारंपरिक कलेवा गुड़ के चीले एवं ठेठरी-खुरमी का महाप्रसाद बंटेगा। सांयकाल में विश्वविख्यात पंडवानी गायिका ऋतु वर्मा का कार्यक्रम एवं रात में दुष्यंत हरमुख के निर्देशन में छत्तीसगढ़ी सांस्कृतिक मंच "रंगझरोखा" का मंचन होगा । 

प्रेस-मीडिया से मुखातिब होते हुए छत्तीसगढ़िया क्रान्ति सेना के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अजय यादव ने छत्तीसगढ़ वासियों से 20 जुलाई रविवार को जबर हरेली रैली में सपरिवार पारंपरिक छत्तीसगढ़ी वेशभूषा में शामिल होने के लिये आह्वान किया । क्रान्ति सेना के जिलाध्यक्ष जागेश्वर वर्मा ने बताया कि छत्तीसगढ़िया समाज मूलतः प्रकृति-पूजक समाज है एवं हरेली पूर्णतया प्रकृति की उपासना का पर्व है इसलिये यह त्यौहार हम सब छत्तीसगढ़ वासियों के लिये सबसे महत्वपूर्ण आयोजन है । 

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