आदिवासी महिला बंटवारा नामांतरण और ऋण पुस्तिका के लिए एक वर्ष से भटक रही..कहीं नहीं हो रही सुनवाई

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 आदिवासी महिला बंटवारा नामांतरण और ऋण पुस्तिका के लिए एक वर्ष से भटक रही..कहीं नहीं हो रही सुनवाई 

40 किलोमीटर सफर कर ब्लॉक मुख्यालय नगरी पहुंची तो कार्यालय से अधिकारी नदारद 


                   पत्रकार उत्तम साहू 1 अगस्त 2025

नगरी / आदिवासी विकास खंड के अंतिम छोर पर बसे ग्राम अर्जुनी की आदिवासी बेवा महिला को राजस्व रिकार्ड में नाम दर्ज कराने एवं किसान पुस्तिका के लिए साल भर से पटवारी तहसीलदार और एसडीएम आफिस का चक्कर लगा रही है, बावजूद आज तक राजस्व रिकार्ड में नाम नहीं चढ़ा है। इसके कारण गरीब महिला को सोसायटी से लेकर बैंक तक दिक्कत हो रही है। ऋण पुस्तिका नहीं मिलने से सोसायटी में पंजीयन करवाने, सोसायटी से खाद्य व बीज उठाने में परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. नई ऋण पुस्तिका के लिए पटवारी तहसीलदार पर जवाबदारी डाल रहे हैं, इसके बाद महिला ने एसडीएम कार्यालय में आवेदन पत्र दी है। लेकिन 15 दिवस होने के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं हुई है। ऐसे में किसान शिकायत करे भी तो कहां करे एक बड़ा सवाल है..? 


  पटवारी पर काम के बदले 12 हजार लेने का आरोप




आदिवासी महिला सियाबती ने इस प्रतिनिधि को बताया कि बंटवारे के बाद नामांतरण और ऋण पुस्तिका के लिए तीन किस्त में पटवारी को 12 हजार रुपए दिए हैं, इसके बाद भी रिकॉर्ड दुरुस्त नहीं हुआ है। इससे परेशान हो कर महिला सियाबती ने अनुविभागीय अधिकारी राजस्व से मिलने 40 किलोमीटर दूर सफर करके ब्लाक मुख्यालय नगरी पहुंची थी जहां अधिकारी के आफिस में नहीं रहने की वजह से मुलाकात नहीं हो पाया।

उक्त महिला सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक अधिकारी के इंतजार में बैठी रही। जानकारी मिलने पर एक पत्रकार ने अधिकारी को फोन लगाया तो अधिकारी ने फोन नहीं उठाया। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि राजस्व विभाग के अधिकारी कर्मचारी अपने कर्तव्यों से विमुख होकर भर्राशाही और मनमानी करने में लगे हुए हैं।


पटवारी पर राजस्व अधिकारियों-कर्मचारियों का नियंत्रण नहीं आखिर क्यों..?


आखिर पटवारी किसके लिए रिश्वत लेते हैं अपने अधिकारी के लिए या फिर अपने घर की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिये या उनके उच्च अधिकारी ही पटवारियों को ईमानदारी काम नहीं करना चाहते या फिर खुद रिश्वत की अवैध वसूली करवाते हैं ? यदि उच्च अधिकारी पटवारी पर नियंत्रण बनाए रखने और लोगों का काम बिना रिश्वत करने को कहते तो शायद राजस्व विभाग इतना बदनाम ना होता आज पटवारी रिश्वत लेते पकड़े नहीं जाते ? भले ही पटवारी रिश्वत लेते पकड़े जा रहे हैं पर इस रिश्वत का खेल तो राजस्व के अधिकारियों से भी जुड़ा हुआ है, क्योंकि कर्मचारी ही रिश्वत लेकर उगाही करके अपने अधिकारी को पैसे पहुंचाते हैं।


मुख्यमंत्री और कलेक्टर के फरमान के बाद भी नहीं चेते अधिकारी 


साय सरकार के साथ ही धमतरी कलेक्टर अबिनाश मिश्रा ने सख्त लहजे में चेतावनी दी है कि आम लोगों को पटवारी, तहसीलदार, एसडीएम कार्यालयों का चक्कर न लगाना पड़े इसके लिए दिशानिर्देश जारी किया गया है। लेकिन अधिकारी भी तू डाल-डाल, तो मैं पात-पात वाली तर्ज पर काम करते हुए आम लोगों को इस सुविधा के लाभ से वंचित कर रहे हैं. बटांकन नामांतरण व नई ऋण पुस्तिका के लिए पटवारी तहसीलदार और एसडीएम कार्यालय का चक्कर लगाना पड़ रहा है।

आदिवासी विकासखंड में राजस्व विभाग के अधिकारीयों की मनमानी अफसर शाही सर चढ़ कर बोल रहा है, अधिकारी किसी की सुनने को तैयार नहीं है ऐसी स्थिति में सरकार के सुशासन को पलीता लगा रहा है जिसकी वजह से जनता में सरकार की फजीहत हो रही है अधिकारीयों की मनमानी और हिटलर शाही के चलते अफसरशाही हावी हो गंई है अधिकारी किसी का फोन तक नहीं उठाते ऐसी स्थिति में आम जनता की समस्याओं का निदान कैसे हो यह सरकार को तय करना होगा सरकार आम जनता की उम्मीदों पर खरा उतरे तब कहीं जनता का विश्वास जीत पाएगा। 

अगर अधिकारीयों के इस रवैए पर लगाम नहीं लगाया गया तो सरकार से आम जनता का विस्वास उठ जायेगा और सुशासन सरकार की फजीहत हो जायेगी सरकार को अधिकारीयों पर तत्काल लगाम कसना चाहिए, ऐसे अधिकारी की खैर खबर नहीं ली गंई तो भविष्य में सरकार को इसके गम्भीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।






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