“जब तक पिछड़ा वर्ग संगठित नहीं होगा, उसकी आवाज दबाई जाती रहेगी” — अधिवक्ता शत्रुहन सिंह साहू

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 “जब तक पिछड़ा वर्ग संगठित नहीं होगा, उसकी आवाज दबाई जाती रहेगी” — अधिवक्ता शत्रुहन सिंह साहू



उत्तम साहू 

नगरी/ रायपुर- ओबीसी संयोजन समिति छत्तीसगढ़ के संस्थापक अधिवक्ता शत्रुहन सिंह साहू को हाल ही में ‘अखिल भारतीय पिछड़ा वर्ग संघ’ का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष चुना गया है। इस अवसर पर उन्होंने विशेष बातचीत में अपनी प्राथमिकताओं और विचारों को साझा किया।


उन्होंने कहा कि यह पद उनके लिए गर्व और जिम्मेदारी दोनों का विषय है। यह सिर्फ सम्मान नहीं बल्कि समाज के पिछड़े वर्ग के हितों के लिए और अधिक संघर्ष करने की प्रेरणा भी देता है। वे मानते हैं कि इस मुकाम तक पहुँचने के पीछे उनका सामाजिक सरोकार, अधिवक्ता के रूप में न्याय के लिए सतत संघर्ष और समाज में समानता एवं अधिकारों की लगातार आवाज उठाना मुख्य कारण रहे हैं। साथ ही साथियों और वरिष्ठजनों का विश्वास भी इस यात्रा में सहायक बना।


पिछड़े वर्ग की स्थिति पर चर्चा करते हुए साहू ने स्पष्ट किया कि आज भी यह वर्ग सामाजिक, शैक्षणिक और राजनीतिक स्तर पर वंचित है। आरक्षण और अधिकार तो मिले हैं, लेकिन उनका प्रभावी क्रियान्वयन अभी तक सुनिश्चित नहीं हो सका है। ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा और रोजगार की स्थिति बेहद चिंताजनक है। उनका मानना है कि सामाजिक आंदोलन को मजबूत बनाने के लिए समय, प्रतिभा और संसाधन तीनों की बड़ी भूमिका होती है, और यही वह चुनौती है जिसे अभी तक पूरी तरह हासिल नहीं किया जा सका है।


राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के रूप में अपनी कार्ययोजना बताते हुए साहू ने कहा कि उनकी प्राथमिकता सामाजिक न्याय की लड़ाई को तेज करना, शिक्षा एवं रोजगार के अवसरों का विस्तार करना और आरक्षण नीति को सही रूप से लागू कराने की दिशा में काम करना होगी। साथ ही, वे पिछड़े वर्ग के युवाओं को नेतृत्व में लाने, समाज में एकता और जागरूकता बढ़ाने तथा राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर जनजागरूकता अभियान चलाने की योजना बना रहे हैं। उनका यह भी मानना है कि ओबीसी के जातीय संगठनों को एक साझा सामाजिक मंच पर लाना आंदोलन को नई शक्ति देगा।


छत्तीसगढ़ के संदर्भ में उन्होंने कहा कि यहाँ पिछड़े वर्ग की आबादी बहुत बड़ी है, लेकिन राजनीतिक प्रतिनिधित्व अपेक्षाकृत कम है। इस कमी को दूर करने के लिए वे युवाओं के लिए प्रशिक्षण शिविर, कानूनी सहायता केंद्र और छात्रवृत्ति अभियान शुरू करने पर विशेष ध्यान देंगे।


भविष्य की दिशा पर विचार रखते हुए उन्होंने कहा कि पिछड़े वर्ग आंदोलन को नई ऊर्जा देने के लिए सबसे पहले समाज में एकता आवश्यक है। जब तक हम संगठित नहीं होंगे, तब तक हमारी आवाज दबाई जाती रहेगी। इसके साथ ही शिक्षा और जागरूकता ही हमारी सबसे बड़ी ताकत है और युवा नेतृत्व को सामने लाना ही आंदोलन को नई दिशा और मजबूती देगा।


वकालत के अनुभव को सामाजिक संघर्ष से जोड़ते हुए साहू ने कहा कि न्याय केवल अदालत में ही नहीं बल्कि समाज में भी मिलना चाहिए। उनका मानना है कि कानूनी ज्ञान के सहारे समाज के हक की लड़ाई को अधिक प्रभावी ढंग से लड़ा जा सकता है।


देशभर के पिछड़े वर्ग को संदेश देते हुए साहू ने कहा—“शिक्षित बनो, संगठित रहो और अपने अधिकारों के लिए सतत संघर्ष करो। यदि हम एकजुट रहेंगे तो कोई भी ताकत हमारे अधिकार छीन नहीं सकती।”

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