दो विभागों के आपसी खींचतान का फायदा उठा रहे भूमाफिया
रवीशंकर सागर परियोजना (गंगरेल बांध) के आसपास चल रहा अतिक्रमण का खुला खेल
उत्तम साहू
धमतरी। रवीशंकर सागर परियोजना क्षेत्र की भूमि को लेकर जल संसाधन विभाग और वन विभाग के बीच लंबे समय से खींचतान चल रही है। इस विवाद का फायदा भूमाफिया उठा रहे हैं और बड़ी मात्रा में सरकारी भूमि पर कब्जा कर होटल, दुकानें, रिसॉर्ट और अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठान खड़े कर दिए गए हैं।
जानकारी के मुताबिक, विभागों की आपसी खींचतान और जिम्मेदारी से बचने की प्रवृत्ति के कारण स्थानीय लोगों को खुलेआम अतिक्रमण का अवसर मिल रहा है। गंगरेल बांध के आसपास बड़ी-बड़ी ज़मीनें काटकर बेची जा रही हैं और अवैध रूप से पक्के निर्माण कार्य किए जा रहे हैं।
बताया गया है कि 1971-72 में जब गंगरेल बांध का निर्माण हुआ था, उस समय प्रभावित लोगों को पुनर्वास के लिए मुआवजा और ज़मीन दी गई थी। जल संसाधन विभाग का कहना है कि संबंधित भूमि उसकी है, वहीं वन विभाग दावा करता है कि वह जमीन उनके अधीन है। दोनों विभागों के बीच स्पष्टता न होने के कारण दशकों से यह विवाद जस का तस बना हुआ है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि विभागीय उदासीनता के कारण यहां अवैध कब्जों का खेल चरम पर है। कई लोग होटल-रिसॉर्ट बना रहे हैं और आसपास का इलाका धीरे-धीरे व्यावसायिक केंद्र में बदलता जा रहा है।
इस पूरे मामले को लेकर प्रशासन की चुप्पी भी कई सवाल खड़े करती है। यदि समय रहते इस पर कड़ी कार्रवाई नहीं हुई तो आने वाले वर्षों में गंगरेल बांध क्षेत्र अवैध कब्जों और विवादों का अड्डा बन जाएगा।

