पत्थलगांव नगर पालिका दिवालिया होने की कगार पर
कर्मचारियों का वेतन बकाया, डीजल संकट और भ्रष्टाचार ने बढ़ाई परेशानी
कोरबा से ज्ञान शंकर तिवारी की रिपोर्ट
पत्थलगांव नगर पालिका इन दिनों गहरे आर्थिक संकट से जूझ रही है। कर्मचारियों से लेकर पार्षदों तक महीनों से वेतन नहीं मिलने से हालात बिगड़ते जा रहे हैं। पार्षदों का पाँच माह का मानदेय अटका हुआ है, वहीं सफाईकर्मी और प्लेसमेंट कर्मचारी भी 6 से 8 हजार रुपये की अल्प आय के बावजूद महीनों से वेतन से वंचित हैं।
स्थिति यह है कि नगर पालिका डीजल आपूर्ति तक का भुगतान नहीं कर पा रही है। बकाया रकम के कारण पेट्रोल पंप संचालक डीजल देने से मना कर देते हैं। कई बार 20 लीटर की पर्ची पर केवल 18 लीटर डीजल ही दिया जाता है। कर्मचारियों का कहना है कि यदि गाड़ी पंचर हो जाए तो उसके मरम्मत तक की व्यवस्था नहीं हो पाती।
बदहाली के मुख्य कारण आर्थिक कुप्रबंधन: राजस्व वसूली बेहद कम, कर्मचारियों का वेतन तक अटका।सरकारी अनुदान की कमी: राज्य सरकार से समय पर राशि नहीं मिलने से दबाव बढ़ा।
भ्रष्टाचार: अवैध निर्माण कार्यों से लाखों की राजस्व हानि।
विकास कार्य ठप: किसानों की भूमि पर कचरा डालने और नालों का पानी छोड़े जाने से खेती प्रभावित।
कर्मचारियों की कमी: निर्माण इकाई में स्टाफ की कमी से कामकाज ठप।
नगर पालिका की स्थिति लगातार बिगड़ रही है। कर्मचारियों और पार्षदों के बकाया वेतन, भ्रष्टाचार और अव्यवस्थित प्रबंधन ने इसे दिवालिया होने की स्थिति में पहुँचा दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि हालात संभालने के लिए ठोस आर्थिक प्रबंधन, राजस्व वसूली को बढ़ावा देने, भ्रष्टाचार पर अंकुश और राज्य सरकार से समय पर अनुदान प्राप्त करना जरूरी है।

