जामगांव में पादरी-पास्टरों के प्रवेश पर प्रतिबंध
धर्मान्तरण के खिलाफ ग्रामीणों का बड़ा फैसला, ग्रामसभा के प्रस्ताव पर लगाया गया बोर्ड
सरोना से डॉक्टर बलराम साहू की रिपोर्ट
कांकेर। नरहरपुर विकासखंड के ग्राम जामगांव में ग्रामीणों ने मतांतरण के खिलाफ एकजुट होकर बड़ा निर्णय लिया है। गांव के प्रवेश द्वार पर बोर्ड लगाकर पादरी, पास्टर और धर्म परिवर्तन कर चुके लोगों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई है। यह फैसला ग्रामसभा के प्रस्ताव के तहत लिया गया है।
गांव के निवासी खेमन नाग ने बताया कि जामगांव में लगभग 14 परिवारों ने धर्म परिवर्तन किया है, जिससे गांव की पारंपरिक संस्कृति और रीति-रिवाजों पर असर पड़ रहा है। उन्होंने कहा —
“हम किसी धर्म का विरोध नहीं करते, लेकिन लालच या प्रलोभन देकर किए जा रहे मतांतरण का विरोध कर रहे हैं।”
कफन-दफन विवाद के बाद लिया गया निर्णय
गायता रमेश उइके ने बताया कि पांच माह पहले एक मतांतरित परिवार के सदस्य की मौत के बाद कफन-दफन को लेकर विवाद हुआ था। इसके बाद ग्रामसभा ने परंपरा और संस्कृति की रक्षा के लिए यह कठोर निर्णय लिया।
बोर्ड पर लिखा गया है “पेशा अधिनियम 1996 लागू है। सांस्कृतिक पहचान और पारंपरिक परंपराओं के संरक्षण का अधिकार ग्रामसभा को प्राप्त है।”
ग्रामसभा को है संस्कृति की रक्षा का अधिकार
संविधान की पांचवीं अनुसूची के तहत ग्रामसभा को अपनी संस्कृति और परंपराओं की रक्षा के लिए निर्णय लेने का अधिकार प्राप्त है। इसी आधार पर ग्रामसभा ने बाहरी धर्म प्रचारकों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया है।
इस अवसर पर खेमन नाग, प्रमोद कुंजाम, तुलेश सिन्हा, राजकुमार सिन्हा, आनंद यादव, संजय शोरी, रोहित कुंजाम, कमलेश नेताम, कमल सिंह मरकाम, रामदीन नाग सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण उपस्थित रहे।
बताया जा रहा है कि जामगांव कांकेर जिले का 13 वां ऐसा गांव बन गया है, जहां मतांतरण के विरोध में पादरियों और पास्टरों के प्रवेश पर रोक लगाई गई है।

