नगरी..बस स्टैंड का बाथरूम बना परेशानी का सबब
महिलाएं हो रही शर्मसार, नगर पंचायत की लापरवाही पर जनता में आक्रोश
उत्तम साहू
नगरी/ नगर पंचायत की लापरवाही एक बार फिर जनता की सहनशक्ति की परीक्षा ले रही है। बस स्टैंड जैसे सार्वजनिक स्थलों पर बुनियादी सुविधाओं की कमी से नगर प्रशासन पर सवाल उठाए जा रहे हैं,
दरअसल बस स्टैंड परिसर में स्थित सार्वजनिक शौचालय का नवीनीकरण कार्य पिछले एक महीने से किया जा रहा है कार्य की धीमी गति और ठेकेदार की लापरवाही से आज तक अधूरा पड़ा हुआ है। इसका परिणाम यह है कि यात्रियों, खासतौर पर महिलाओं को शौचालय उपयोग के लिए खुले या अस्थायी स्थानों की ओर रुख करना पड़ रहा है। यह स्थिति न केवल असुविधा का कारण बन रही है, बल्कि सार्वजनिक स्वच्छता और महिलाओं की गरिमा दोनों पर प्रश्नचिह्न खड़ा कर रही है। नगरी के बस स्टैंड परिसर की यह स्थिति स्वच्छता अभियान की जमीनी सच्चाई बयान करती है। अधूरे निर्माण, गंदगी और असंतुलित प्रबंधन से व्यापारियों और यात्रियों में इस बात को लेकर गहरा आक्रोश है।
![]() |
| नगर पंचायत का अस्थाई बाथरूम |
स्थानीय लोगों के अनुसार, नगर पंचायत द्वारा शौचालय के नवीनीकरण की शुरुआत बड़े जोश के साथ की गई थी, लेकिन कार्य अधूरा छोड़ देने से अब यह परिसर बदहाली का शिकार हो गया है। निर्माण स्थल पर, गंदगी और टूटे मलबे का ढेर पड़ा है, नगर पंचायत ने तात्कालिक व्यवस्था के रूप में एक अस्थायी टेंट लगवाया है, मगर यह समाधान अपर्याप्त और अस्वच्छ है, जिससे यात्री विशेषत: महिलाएं शर्मिंदगी और असहजता का अनुभव कर रही हैं।
इसी तरह एक महिला यात्री ने तीखे लहजे में कहा कि सार्वजनिक स्थल पर शौचालय की मूलभूत सुविधा भी न मिले, यह नगर पंचायत की सबसे बड़ी नाकामी है। उन्होंने कहा कि प्रशासन अगर चाहे तो यह कार्य एक सप्ताह के भीतर पूरा किया जा सकता है, लेकिन जानबूझकर लापरवाही बरती जा रही है।
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि नगर पंचायत के जिम्मेदार जनप्रतिनिधि,इंजीनियर और ठेकेदार पर जवाबदेही तय कर कार्य को युद्धस्तर पर पूरा कराया जाए। नागरिकों का यह भी कहना है कि भविष्य में इस तरह के उपेक्षित रवैये पर रोक लगाने के लिए नगर पंचायत को सख्त निगरानी तंत्र विकसित करना चाहिए। लोगों का स्पष्ट कहना है कि यह मामला केवल एक अधूरे निर्माण का नहीं, बल्कि प्रशासनिक जवाबदेही और नागरिक स्वाभिमान से जुड़ा है।


