धर्मांतरण को लेकर गांव विवाद: महिला के अंतिम संस्कार पर बेवरती में तनाव, पुलिस-प्रशासन अलर्ट
सरोना से डा.बलराम सिंह साहू की रिपोर्ट
कांकेर। जिले में धर्मांतरण को लेकर हालात एक बार फिर संवेदनशील हो गए हैं। मामला विधायक आशाराम नेताम के गृह ग्राम बेवरती का है, जहाँ बीमारी से जूझ रहीं कांति मेश्राम का हाल ही में निधन हो गया। परिजन जब पारंपरिक रीति के अनुसार अंतिम संस्कार की तैयारी में जुटे, तो गांव का माहौल अचानक तनावपूर्ण हो उठा।
जैसे ही शव गांव लाया गया, बड़ी संख्या में ग्रामीण विरोध में खड़े हो गए। ग्रामीणों का आरोप था कि मेश्राम परिवार ने मूल धर्म त्यागकर धर्मांतरण किया है, ऐसे में गांव के परंपरागत श्मशान या दफन भूमि के उपयोग की अनुमति नहीं दी जा सकती। कई ग्रामीणों ने तो यहां तक कह दिया कि यदि अंतिम संस्कार गांव में ही करना है तो पहले परिवार को ‘मूल धर्म में वापसी’ की घोषणा करनी होगी।
विवाद बढ़ा तो परिजनों ने निजी जमीन में ही अंतिम संस्कार करने का विकल्प रखा, पर ग्रामीण इसके लिए भी तैयार नहीं हुए। तनाव बढ़ता देख परिवार प्रशासन की शरण में गया।
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए कांकेर प्रशासन तत्काल सक्रिय हुआ। पहले शव को बेवरती से चारामा ले जाने की योजना बनाई गई। परंतु सूचना मिली कि सर्व हिंदू समाज के कई लोग पहले से ही चारामा में विरोध के लिए मौजूद हैं। इससे प्रशासन की चुनौती और बढ़ गई।
अधिकारियों ने बताया कि कांकेर में इससे पहले भी ऐसा ही मामला सामने आ चुका है, जिसके चलते मृतक का अंतिम संस्कार रायपुर में कराना पड़ा था। वर्तमान परिस्थिति को देखकर प्रशासन ने एक बार फिर रायपुर में अंतिम संस्कार की तैयारी शुरू कर दी है।
इस बीच बेवरती और चारामा दोनों जगह पुलिस बल की तैनाती की गई है। ग्रामीणों से लगातार संवाद कर उन्हें शांत रहने की अपील की जा रही है। प्रशासन स्पष्ट है कि कानून-व्यवस्था से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और किसी भी तरह की हिंसा पर सख्त कार्रवाई होगी।
गांव में तनाव का असर इतना है कि कई लोग घरों से बाहर निकलने से परहेज कर रहे हैं। वहीं स्थानीय लोग इस बात से चिंतित हैं कि यह विवाद कहीं सामुदायिक तनाव में न बदल जाए। प्रशासन की कोशिश है कि धार्मिक संवेदनशीलता का सम्मान करते हुए मानवाधिकार और अंतिम संस्कार की गरिमा सुरक्षित रहे।
कुल मिलाकर, बेवरती में अंतिम संस्कार को लेकर छिड़ा यह विवाद एक बार फिर जिले में कानून-व्यवस्था की नाजुक स्थिति को उजागर करता है। पुलिस और प्रशासन अलर्ट मोड पर हैं, लेकिन गांव का माहौल अब भी बेचैन है।

