शेख हसीना की मौत की सजा से उपजा भूचाल ढाका में उबाल, दिल्ली में कूटनीतिक हलचल तेज
दिल्ली/ढाका। बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल का मौत की सजा का फैसला आते ही दक्षिण एशियाई राजनीति में मानो तेज बिजली कौंध गई। ढाका की सड़कों पर तनाव, गुस्सा और असमंजस का घना कोहरा फैल गया और इसी बीच दिल्ली में बयानबाज़ी और कूटनीतिक समीकरण भी तेजी से गर्म हो गए।
भारत ने इस फैसले पर अपनी पहली प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि वह “बांग्लादेश के लोगों के सर्वोत्तम हितों और क्षेत्र की स्थिरता” को ध्यान में रखते हुए सभी पक्षों से संवाद बनाए रखेगा।
ढाका का सख्त संदेश "हसीना को सौंपना भारत की ज़िम्मेदारी"
ढाका की अंतरिम सरकार ने सोमवार को जैसे ही हसीना और पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल को मौत की सजा सुनाई, उसी वक्त आधिकारिक एजेंसी बीएसएस के माध्यम से भारत को कड़ा संदेश भेजा “द्विपक्षीय प्रत्यर्पण संधि के तहत दोषियों को भारत द्वारा सौंपना अनिवार्य कर्तव्य है।”
बांग्लादेश ने इतना ही नहीं कहा, बल्कि इसे आगे बढ़ाते हुए यह भी जोड़ा कि
“मानवता विरोधी अपराधों के दोषियों को शरण देना न्याय और दोस्ताना रिश्तों दोनों के खिलाफ कृत्य माना जाएगा।”
हसीना भारत में और अदालत ने उन्हें पहले ही 'भगोड़ा' घोषित किया
पिछले साल 5 अगस्त को बांग्लादेश में व्यापक छात्र विरोध-आंदोलनों के बाद शेख हसीना देश छोड़कर भारत आ गई थीं।
अदालत पहले ही उन्हें फरार घोषित कर चुकी है।
अंतरिम सरकार का दावा है कि उनके सहयोगी असदुज्जमां खान भी भारत में ही मौजूद हैं।
ढाका ने दिसंबर 2024 में भी ‘नोट वर्बाल’ भेजकर प्रत्यर्पण का आग्रह किया था, लेकिन तब भारत ने सिर्फ पत्र मिलने की पुष्टि की थी, प्रतिक्रिया नहीं।
ट्रिब्यूनल का सख्त फैसला “निहत्थे नागरिकों पर संगठित हिंसा”
इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल, बांग्लादेश (ICT-BD) ने अपने विस्तृत फैसले में साफ लिखा—
- पिछले साल हुए छात्र विद्रोह के दौरान
निहत्थे नागरिकों के खिलाफ संगठित हिंसा हुई। - हसीना और पूर्व गृह मंत्री कमाल मानवता के विरुद्ध अपराधों में दोषी पाए गए।
- दोनों को अनुपस्थिति में सजा-ए-मौत दी गई।
तीसरे आरोपी, पूर्व पुलिस महानिरीक्षक चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून को पाँच साल की सजा मिली है। उन्होंने अपराध स्वीकार कर सरकारी गवाह बनना स्वीकार किया—जिसे अदालत ने “अभियोजन को बड़ी मदद” बताया।
भारत का संतुलित बयान तनाव के बीच कूटनीति की राह
भारत ने इस पूरे घटनाक्रम पर स्पष्ट किया
- “हम शांति, लोकतंत्र और स्थिरता के पक्षधर हैं।”
- “बांग्लादेश के नागरिकों के सर्वोत्तम हितों के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
- और, “स्थिति पर करीबी नजर रख रहे हैं।”
यानी भारत ने न तो ढाका का आग्रह ठुकराया, न ही स्वीकार किया फिलहाल एक संतुलित कूटनीतिक रेखा बनाए रखी है।
दक्षिण एशिया की राजनीति में बढ़ती घुटन आगे क्या?
शेख हसीना की मौत की सजा, ढाका की कठोर मांग, दिल्ली की सावधानी और बांग्लादेश में बढ़ता तनाव—ये सभी संकेत दे रहे हैं कि आने वाले दिनों में
भारत–बांग्लादेश रिश्ते और दक्षिण एशिया की राजनीति और अधिक उथल-पुथल से गुजर सकते हैं।
फिलहाल पूरी दुनिया की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि—
क्या भारत शेख हसीना को प्रत्यर्पित करेगा या कूटनीतिक समीकरणों के बीच कोई नया मोड़ सामने आएगा?

