दुगली की आराध्य देवी माता अंगारमोती का ऐतिहासिक फूल मेला संपन्न
सैकड़ों वर्षों की आस्था और परंपरा से जुड़ा आयोजन, श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़
उत्तम साहू तारीख:1 नवंबर 2025
धमतरी। नगरी विकासखण्ड के वनांचल क्षेत्र के ग्राम दुगली में विराजमान आराध्य देवी माता अंगारमोती के वार्षिक फूल मेले का आयोजन इस वर्ष 31 अक्टूबर को बड़ी श्रद्धा और उत्साह के साथ सम्पन्न हुआ। आस्था और विश्वास के इस पर्व में दूरदराज़ के ग्रामीणों समेत आसपास के अंचलों से हजारों श्रद्धालु मन्नत मांगने पहुंचे। पूरे ग्राम में भक्ति और उल्लास का वातावरण रहा।
देव परंपरा के अनुसार मेला आयोजन से एक दिन पूर्व 30 अक्टूबर को देव जात्रा निकाली गई। वहीं 31 अक्टूबर को देव मिलन परब के अवसर पर दोपहर तीन बजे क्षेत्र की देवी-देवताओं का अंगारमोती प्रांगण में भव्य आगमन हुआ। ग्रामीण और क्षेत्रवासी सुबह से ही देवी-देवताओं के स्वागत के लिए मंदिर परिसर में एकत्रित थे। इस वर्ष फूल मेले का आयोजन आकार और भव्यता दोनों दृष्टि से पिछले बरसों की तुलना में अधिक विस्तार लिए हुए था। भीड़ दिनभर से लेकर देर रात तक लगी रही और श्रद्धालु माता के दरबार में मन्नतें मांगते रहे।
अंगारमोती सेवा समिति के अध्यक्ष सुरेन्द्र राज ध्रुव ने बताया कि पिछले दस वर्षों से ग्रामवासियों के सहयोग से इस मेला का आयोजन निरंतर किया जा रहा है। पहले यह आयोजन सीमित स्तर पर केवल फूल चढ़ाकर संपन्न कराया जाता था, परंतु अब इसका स्वरूप व्यापक हो चुका है।
ऐतिहासिक मान्यताओं के अनुसार माता अंगारमोती की स्थापना सैकड़ों वर्ष पूर्व हुई थी। बताया जाता है कि माता का मूल स्थल गंगरेल बांध के डूब क्षेत्र धाप चांवर में स्थित था। दुगली ग्राम के नेताम परिवार के पुजारी दंपति ने संतान प्राप्ति की कामना के साथ धाप चांवर स्थित माता से प्रार्थना की थी। माता के आशीर्वाद से उन्हें संतान की प्राप्ति हुई, जिसके पश्चात उनके वंशजों ने माता के आदेशानुसार दुगली में वर्तमान मंदिर की स्थापना कराई।
पुजारी सीताराम नेताम के अनुसार पुराने सियान लोग बताते हैं कि दुगली की साप्ताहिक बाजार माता अंगारमोती के नाम से ही आरंभ हुई थी, इस कारण हर शुक्रवार को बाजार भरने की परंपरा चली आ रही है। समय के साथ पंचायत सीमाओं के पुनर्गठन के बाद यह बाजार अब कौव्हाबाहरा क्षेत्र में स्थानांतरित हो चुकी है, किंतु परंपरा की जड़ें अभी भी दुगली में मजबूत हैं।
कथाओं के अनुसार जब दुगली की बाजार की शुरुआत हुई, तब माता के महुए के वृक्ष के सामने से इसका शुभारंभ हुआ था। बाद में बाजार के विस्तार के साथ जगह परिवर्तन कर सुविधा के लिए उसे अन्य स्थान पर स्थानांतरित किया गया।
हर वर्ष देवारी के बाद और देव उठनी एकादशी के पूर्व यह फूल मेला बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। स्थानीय निवासी मानते हैं कि माता अंगारमोती की कृपा से ग्राम में सुख-समृद्धि और संरक्षण बना रहता है। अब यह आयोजन न केवल स्थानीय भक्तों बल्कि पूरे नगरी अंचल के लोगों की आस्था का केंद्र बन चुका है।

