मुठभेड़ में 12 माओवादी ढेर, DRG के 3 जवान शहीद – गंगालूर के जंगलों में दिनभर दहाड़ती रही गोलियों की गूंज
बीजापुर, 3 दिसंबर 2025। छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग में मंगलवार सुबह शुरू हुआ सुरक्षा बलों का सर्च ऑपरेशन एक निर्णायक मुठभेड़ में बदल गया, जिसमें अब तक 12 माओवादी मार गिराए गए हैं। पश्चिम बस्तर डिवीजन के गंगालूर क्षेत्र में करीब सुबह 9 बजे शुरू हुई भिड़ंत शाम तक जारी रही। जंगलों में लगातार गूंजती राइफलों और मशीनगनों की आवाज़ें यह साबित कर रही थीं कि सुरक्षा बल इस बार बेहद सटीक और सख्त मोर्चे पर उतरे हैं।
हथियारों का बड़ा जखीरा बरामद
मुठभेड़ स्थल से सुरक्षाबलों ने LMG, SLR, INSAS और .303 राइफलों सहित भारी मात्रा में हथियार बरामद किए हैं। बरामदगी यह संकेत देती है कि माओवादी यहां किसी बड़े हमले की तैयारी में थे, जिसे जवानों ने समय रहते ध्वस्त कर दिया।
तीन वीर जवानों ने देश के लिए दी शहादत
कार्रवाई के दौरान DRG बीजापुर के तीन साहसी जवान दुश्मनों से लड़ते हुए शहीद हो गए। वहीं दो जवान घायल हुए जिन्हें तुरंत इलाज उपलब्ध कराया गया। डॉक्टरों के अनुसार दोनों घायल जवान फिलहाल खतरे से बाहर हैं।
कैसे शुरू हुई मुठभेड़?
बीजापुर–दंतेवाड़ा सीमा पर DRG, STF, CoBRA और CRPF की संयुक्त टीमें सर्च ऑपरेशन में थीं। बीजापुर SP डॉ. जितेंद्र यादव के अनुसार जवानों को अनुमान भी नहीं था कि घने जंगलों में माओवादी पहले से घात लगाकर बैठे होंगे। जैसे ही जवान आगे बढ़े, उन पर फायरिंग शुरू हो गई। जवाब में सुरक्षा बलों ने मोर्चा संभालते हुए कई दिशाओं से नक्सलियों को घेर लिया, जिसके बाद मुठभेड़ तेज हो गई।
मारे गए माओवादियों में कई बड़े नाम होने की संभावना
अधिकारियों ने बताया कि बरामद शवों की पहचान की प्रक्रिया चल रही है। प्रारंभिक जानकारी के अनुसार इनमें स्थानीय एरिया कमेटी के कई महत्वपूर्ण कैडर शामिल हो सकते हैं, जो लंबे समय से इस क्षेत्र में सक्रिय थे।
ऑपरेशन अभी भी जारी
बस्तर रेंज के IG सुंदरराज पट्टलिंगम ने बताया कि इलाके को पूरी तरह कॉर्डन कर अतिरिक्त फोर्स तैनात कर दी गई है। जंगलों में रोका-टोक फायरिंग अभी भी जारी है, और माओवादी ठिकानों की पूरी तरह जांच की जा रही है। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन के पूर्ण होने के बाद ही विस्तृत जानकारी साझा की जाएगी।
नक्सलियों के लिए एक और बड़ा झटका
पिछले कुछ महीनों में लगातार सफल अभियानों से माओवादी संगठन दबाव में है। आज की मुठभेड़ नक्सलियों के नेटवर्क और हथियार आपूर्ति पर एक और बड़ा प्रहार मानी जा रही है।
बस्तर के घने जंगलों में सुरक्षा बलों की यह कार्रवाई एक बार फिर साबित करती है कि माओवाद के विरुद्ध लड़ाई अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुकी है।

