नाबालिग का अश्लील वीडियो वायरल मामला: 15 दिन बाद भी आरोपी फरार, पुलिस की सुस्ती पर उठे सवाल, रजक समाज में उबाल
कोरबा जिले के पाली थाना अंतर्गत चैतमा चौकी क्षेत्र के ग्राम बनबांधा में नाबालिग बच्ची का अश्लील वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म इंस्टाग्राम पर वायरल होने का मामला अब लगातार गंभीर होता जा रहा है। घटना को 15 दिन से अधिक का समय बीत चुका है, लेकिन अब तक न तो नामजद आरोपी युवक रतिराम यादव की गिरफ्तारी हो सकी है और न ही उससे पूछताछ को लेकर पुलिस की ओर से कोई ठोस कार्रवाई सामने आई है। इस पुलिसिया ढिलाई के चलते पीड़ित परिवार के साथ-साथ पूरे क्षेत्र और समाज में भारी आक्रोश व्याप्त है।
सबूत देने के बावजूद कार्रवाई ठप
पीड़ित परिवार का आरोप है कि उन्होंने पुलिस को आरोपी के खिलाफ सभी जरूरी सबूत सौंप दिए हैं। इनमें वायरल वीडियो के स्क्रीनशॉट, इंस्टाग्राम का लिंक, तथा आरोपी द्वारा भेजे गए धमकी भरे मोबाइल मैसेज शामिल हैं। इसके बावजूद जांच की रफ्तार बेहद धीमी बनी हुई है। परिवार का कहना है कि नाबालिग बच्ची गहरे मानसिक तनाव, भय और सामाजिक बदनामी से जूझ रही है, जबकि न्याय की उम्मीद में परिवार को लगातार पुलिस और अधिकारियों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं।
पॉक्सो जैसे गंभीर कानून पर भी लापरवाही
यह मामला पॉक्सो एक्ट जैसे गंभीर और संवेदनशील कानून के अंतर्गत आता है, बावजूद इसके पुलिस की निष्क्रियता कई सवाल खड़े कर रही है। स्थानीय लोगों और समाज के प्रतिनिधियों का कहना है कि ऐसे मामलों में त्वरित गिरफ्तारी और सख्त कार्रवाई आवश्यक होती है, ताकि पीड़िता को सुरक्षा और न्याय का भरोसा मिल सके। लेकिन यहां स्थिति इसके उलट नजर आ रही है।
रजक समाज में भारी नाराजगी, आंदोलन की चेतावनी
घटना को लेकर रजक समाज में गहरी नाराजगी है। समाज के लोगों का कहना है कि यदि शीघ्र आरोपी की गिरफ्तारी नहीं की गई और सख्त कार्रवाई नहीं हुई, तो वे जिला स्तर पर बड़ा आंदोलन करने को मजबूर होंगे। रजक समाज के अध्यक्ष धीरपाल निर्मलकर ने बताया कि पीड़िता को थाना पाली, व्यवहार न्यायालय पाली और कटघोरा थाना—तीनों जगह बुलाकर बयान दर्ज कराए गए हैं। इसके बावजूद आरोपी से अब तक कोई पूछताछ नहीं की गई, जो बेहद चिंताजनक है।
जांच कटघोरा थाना को सौंपने पर सवाल
समाज के लोगों ने यह भी सवाल उठाया है कि जब घटना चैतमा चौकी और पाली थाना क्षेत्र की है, तो इसकी जांच कटघोरा थाना प्रभारी को क्यों सौंपी गई। उनका मानना है कि इससे जांच प्रभावित हो सकती है और आरोपी को अप्रत्यक्ष रूप से लाभ मिलने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।
“जांच जारी है” कहकर टाल रही पुलिस
सूत्रों के अनुसार, पुलिस हर सवाल के जवाब में सिर्फ “जांच जारी है” कहकर अपना पल्ला झाड़ रही है। लेकिन जमीनी स्तर पर न तो किसी तरह की ठोस कार्रवाई दिखाई दे रही है और न ही पीड़ित परिवार को कोई भरोसा मिल पा रहा है। इससे लोगों का भरोसा पुलिस व्यवस्था पर कमजोर पड़ता नजर आ रहा है।
उच्च अधिकारियों और आयोगों का दरवाजा खटखटाने की तैयारी
पुलिस से निराश पीड़ित परिवार अब उच्च पुलिस अधिकारियों, महिला आयोग और अन्य संवैधानिक संस्थाओं के पास जाने की तैयारी कर रहा है। परिवार का कहना है कि उन्हें न्याय चाहिए और दोषी को सख्त सजा मिलनी चाहिए, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
पुलिस की कार्यप्रणाली पर बड़ा सवाल
यह मामला अब केवल एक नाबालिग के साथ हुए साइबर अपराध तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि पुलिस की कार्यप्रणाली, संवेदनशील मामलों में तत्परता और जवाबदेही पर बड़ा प्रश्नचिह्न बन चुका है। अब देखना यह होगा कि प्रशासन कब जागता है और पीड़ित नाबालिग को कब तक न्याय मिल पाता है।

