परित्यक्ता आदिवासी महिला को न्याय नहीं मिलने से 15 अगस्त को आत्मदाह करने दी चेतावनी
जिला प्रशासन राज्य सरकार और अनुसूचित जनजाति आयोग से महिला को नहीं मिला न्याय
धमतरी/ नगरी - भले ही राज्य सरकार आदिवासी समाज को न्याय दिलाने सहित उनके हक और अधिकार को लेकर वचनबद्ध है, आदिवासियों के प्रति छत्तीसगढ़ सरकार के मुखिया संवेदनशील है, लेकिन प्रशासनिक तंत्र इन आदिवासियों का शोषण करने में पीछे नहीं है,और आज भी आदिवासियों पर अत्याचार लगातार जारी है, प्रशासनिक तंत्र में ऐसे अधिकारी बैठे है जो आदिवासियों पर शोषण करने वालों को संरक्षण देने में लगे हुए हैं, ऐसे अधिकारियों पर कार्यवाही नहीं होने से इनके हौसले बुलंद है, और आदिवासी समाज के लोगों को न्याय के लिए भटकना पड़ रहा है, इसके कारण आज भी आदिवासी शोषण का शिकार हो रहे हैं
आपको बता दें कि नगरी जनपद पंचायत में दैनिक वेतन भोगी के रूप में कंप्यूटर आपरेटर का कार्य करने वाली परित्यक्ता आदिवासी महिला टिकेश्वरी नेताम को बिना कारण बताए मौखिक आदेश देकर नौकरी से निकाल दिया गया है
नौकरी से निकाले जाने पर टिक्केश्वरी नेताम गंभीर आर्थिक स्थितियों से जूझ रही है उसने अपने स्तर पर जिला प्रशासन, राज्य सरकार से लेकर अनुसूचित जनजाति आयोग में आवेदन देकर न्याय की गुहार लगाई है लेकिन 2 वर्ष बीतने के बाद भी इस महिला को कहीं से भी न्याय नहीं मिला है इससे छुब्ध होकर टिकेश्वरी नेताम ने 15 अगस्त को आत्मदाह करने की सूचना प्रशासन को दी है,
अब यह देखना होगा कि दबंग छत्तीसगढ़िया न्यूज़ में समाचार प्रकाशित होने के बाद प्रशासनिक स्तर पर क्या कार्यवाही होती है