जिला में D.M.F.फंड का करोड़ों रुपया नियम विरुद्ध खर्च ई.डी.ने लिया संज्ञान में

 जिला में D.M.F.फंड का करोड़ों रुपया नियम विरुद्ध खर्च ई.डी.ने लिया संज्ञान में 



उत्तम साहू/दबंग छत्तीसगढ़िया न्यूज 

 नगरी / डी.एम.एफ. फण्ड का उपयोग किये गये विभागों में खलखली मची हुई है। इस फण्ड से लगभग 20 करोड़ रूपये की राशि स्कूल निर्माण के नाम पर खर्च की गई है। उक्त राशि को खर्च करने में किसी भी तरह नियमों पालन नहीं किया गया है। ग्राम पंचायतों को एजेंसी बनाकर लगभग 15 करोड़ से अधिक की राशि जिले में खर्च की गई है। जिले के पूर्व अधिकारी ने तो डीएमएफ फण्ड का ऐसा बंदरबांट किया है कि जैसे शासन की राशि न होकर उनका यह निजी फण्ड है। डी.एम.एफ. के अलावा सीएसआर फंड जिसका उपयोग सिर्फ विकास कार्यों के लिए किया जाना होता है उक्त फंड की लगभग 1 करोड़ की राशि को स्कूल डीस्मेंटल के नाम पर खर्च किये जाने को लेकर भी जाँच की मांग तेज हो गई है, जिले के जागरूक नागरिकों ने डी.एम.एफ सीएसआर फंड में हुए करोड़ों की राशि की उच्च स्तरीय जाँच की मांग व दोषियों पर कड़ी कार्यवाही की मांग की है | 

संचालक भौमिकी तथा खनिकर्म छग के पत्र के अनुसार ईडी को धमतरी जिले में खर्च की गई डीएमएफ फण्ड की राशि के संबंध में जो जानकारी मांगी गई है उससे संबंधित विभागों में अभी से दहशत का वातावरण देखा जा रहा है। नगरी स्थित स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम विद्यालय को बनाने के नाम पर जहां 10 करोड़ रूपये खर्च किये गये हैं वहीं मगरलोड में भी बने उक्त स्कूल निर्माण के नाम पर लगभग 5 करोड़ रुपये की राशि ग्राम पंचायतों को एजेंसी बनाकर खर्च की गई है | यहीं नहीं नगरी के पुराने स्कूल भवन को डीस्मेंटल के नाम पर 1 करोड़ रूपये खर्च करना अपने आप में भ्रष्टाचार को साबित करता है| स्कूल निर्माण करने वाले सम्बंधित ग्राम पंचायत के सचिव व सरपंच ने करोड़ों रुपये की राशि नगद आहरण की है जबकि पंचायती राज अधिनियम में 5000 रूपये से अधिक की राशि का भुगतान चेक या आरटीजीएस से भुगतान का प्रावधान है इससे भी यह बात स्पष्ट होती है कि उक्त स्कूल निर्माण में भ्रष्टाचार का खुला खेल खेला गया है | बिना जीएसटी नंबर के फर्म, निलंबित जीएसटी नंबर के फर्म को भी लाखों रुपये की राशि का भुगतान भी उक्त स्कूल निर्माण में किया गया है जिसका खुलासा सुचना के अधिकार अधिनियम से प्राप्त दस्तावेजों से स्पष्ट होता है | इस मामले में जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी सहित सरपंचों, सचिवों का भी बहुत बड़ा हाथ रहा है। डीएमएफ फण्ड के दुरूपयोग को लेकर समय समय पर इसे प्रसारित किया गया था किंतु तत्कालीन कलेक्टर के दबाव के कारण ऐसे अधिकारी जिन्होंने डीएमएफ फण्ड का खुलकर दुरूपयोग किया है, उनके द्वारा इसका विरोध नहीं किया गया

आपको बता दें कि स्वामी आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम विद्यालय के निर्माण में शुरू से ही भ्रष्टाचार का खेल खेला गया है, अब जबकि प्रवर्तन निदेशालय ने डी.एम.एफ. फंड के बारे में पूरी जानकारी मांगी है तो नागरिकों की उम्मीद जगी है की अब दोषियों पर कड़ी कार्यवाही होगी | 



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