भ्रष्टाचार का पुख्ता प्रमाण के बावजूद महिला प्राचार्य पर शिक्षा विभाग मेहरबान,
स्कूल मेनेजमेंट व छात्र-छात्राओं के अधिकार पर डाका डालने वाली प्राचार्य पर अब तक कार्रवाई नहीं,
लाखों रुपए की राशि कम्प्यूटर रिपेयरिंग और स्टेशनरी ख़रीदी में खर्च
उत्तम साहू
नगरी - नगरी विकासखंड के अंतर्गत शासकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय सांकरा के महिला प्राचार्य की कृत्य ने शिक्षा जैसे पवित्र स्थान को शर्मशार कर दिया है, आरटीआई से मिली जानकारी में मामले का खुलासा हुआ है, इसकी शिकायत कलेक्टर जनदर्शन में करने के पश्चात शिक्षा विभाग के द्वारा जांच कमेटी गठित कर जांच कराई गई है, जांच टीम ने जांच के दौरान पाया है कि प्राचार्य ने भंडार क्रय नियमों का पालन नहीं करते हुए शासकीय मद की अधिकांश राशि केवल स्टेशनरी व कंप्यूटर रिपेयरिंग में खर्च किया गया है, इस संबंध में प्राचार्य अनिभा अग्रवाल को वरिष्ठ कार्यालय से दिनांक 10.6.2024 को कारण बताओ सूचना पर पत्र प्रेषित करने के बाद आगे की कार्रवाई रोक दिया गया है, ज्ञात हो कि प्राचार्य अनिभा अग्रवाल ने सिर्फ दो वर्ष 21.22.और 22.23.में 10 लाख रुपए से अधिक की राशि गबन किया है जब कि उक्त प्राचार्य इस विद्यालय में वर्ष 2017 से पदस्थ हैं अगर 2017 से अब तक की जांच होती है तो बहुत बड़ा भ्रष्टाचार होने का खुलासा हो जाएगा,
बता दें कि सत्ता बदलते ही प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने राज्य में सुशासन स्थापित करने अधिकारी कर्मचारी को निर्देशित किया है और जांच की कार्रवाई निरंतर चल रही है, भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाए जाने का कार्य जारी है, और जो भी अधिकारी, कर्मचारी भ्रष्टाचार की गतिविधियों में संलिप्त पाए जाएंगे उन पर कठोर से कठोर कार्रवाई की जाएगी। लेकिन इस फरमान का असर धमतरी जिले के शिक्षा विभाग में नहीं दिखाई दे रहा है,
उल्लेखनीय है कि उच्च माध्यमिक शाला सांकरा में स्थानीय और शासकीय निधि से शाला विकास के नाम पर मिले राशि में 10 लाख रुपए का बंदरबांट फर्जी बिल प्रस्तुत कर के किया गया है प्राचार्य के इस कृत्य से शिक्षा के मंदिर भी शर्मशार हो गया है, इसकी शिकायत कलेक्टर जनदर्शन धमतरी में किया गया था जांच में शिकायत सही पाए जाने के बाद भी शिक्षा विभाग उक्त प्राचार्य पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं किया है,
ज्ञात हो कि शासकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय सांकरा के प्राचार्य ने स्थानीय मद,P.B.F विज्ञान,क्रीडा एवं अन्य मद की राशि को जनभागीदारी एवं विकास समिति के बिना प्रस्ताव के खर्च करने का मामला सामने आया है जबकि शासन के नियमानुसार पांच हजार रुपए से अधिक के राशि खर्च करने पर जन भागीदारी एवं विकास समिति का अनुमोदन अनिवार्य है तथा शासकीय राशि का व्यय क्रय समिति के माध्यम से किया जाना है लेकिन प्राचार्य ने इस नियमों का उलंघन किया है,अधिकांश राशि का व्यय केवल स्टेशनरी एवं सीसी टीवी कैमरा में खर्च किया गया है, गौर करने वाली बात है कि मॉनिटर व टीवी शासकीय प्रदाय से है फिर भी 51670 रुपए व्यय किया गया है जो इस फर्जीवाड़े को उजागर करता है,
इस प्रकार शासकीय व स्थानीय मध्य की अधिकांश राशि का व्यय स्वयं प्राचार्य के द्वारा मनमाने ढंग से किया गया है, जो प्राचार्य के अधिकार क्षेत्र से बाहर है,जनभागीदारी, विकास समिति, एवं क्रय समिति के बिना अनुमोदन के व्यय किया जाना अवैधानिक और नियमों के विरुद्ध है, ऐसे कार्यों से प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा में भ्रष्टाचार करना नीति निर्माण और योजना,स्कूल प्रबंधन,और शिक्षक आचरण को प्रभावित करता है। उपरोक्त जानकारी सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 के अंतर्गत मिले आंकड़ों से वर्ष 2021-22 में शासकीय एवं स्थानीय मद से 7.95.765 रु कुल राशि इसी तरह वर्ष 2022-23 में 7.91.55 रुपए कुल टोटल राशि 15.86.820 रूपया होता है जिसमें से 5.80.490 रु खर्च किया गया है उपरोक्त जानकारी जन भागीदारी विकास समिति के प्रस्ताव व अनुमोदन के आधार पर व्यय की गई है, लेकिन शेष राशि 10.6.333 रुपए की जानकारी नहीं दी गई, प्राचार्य के द्वारा किया गया यह कृत्य बेईमानी भरा है, प्राचार्य ने अपने निजी लाभ के लिए अपने अधिकार का दुरुपयोग करके शिक्षा की मंदिर को शर्मशार किया है, इस तरह के भ्रष्टाचार समाज की भलाई के लिए ख़तरा है, यह सामाजिक विश्वास को ख़त्म करता है और असमानता को बढ़ाता है। आरटीआई कार्यकर्ता ने इस विद्यालय में हुए भ्रष्टाचार की जांच कराने के साथ ही उक्त प्राचार्य पर कड़ी कार्रवाई की मांग किया है।