कलेक्टर नम्रता गांधी ने फसल चक्र परिवर्तन के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने सरपंचों से की अपील
उत्तम साहू, दबंग छत्तीसगढ़िया न्यूज
धमतरी 14 अक्टूबर 2024/ जिले में गिरते भू-जल स्तर को ध्यान में रखते हुए धान को हतोत्साहित कर दलहन, तिलहन एवं कम जल मांग वाली फसलों का उत्पादन करने की आवश्यकता महसूस हो रही है, जिससे भूमि की स्वास्थ्य, पर्यावरण तथा जल संरक्षण हो सके। साथ ही किसानों को अतिरिक्त आय मिल सके। इसके मद्देनजर कलेक्टर सुश्री नम्रता गांधी ने जिले के ग्राम पंचायतों के सरपंचों से अपील की है कि वे अपनी ग्राम पंचायत के सभी किसान भाईयों एवं नागरिकों के साथ बैठक कर फसल चक्र परिवर्तन की योजना बनाएं। ग्रीष्मकालीन फसल के रूप में दलहन, तिलहन, फल-फूल एवं सब्जी की फसल को लगाने हेतु किसानों को प्रोत्साहित करें। ग्रीष्मकालीन धान लगाने के नुकसान पर चर्चा करते हुए किसानों से संवाद करें। उन्होंने कहा कि शीघ्र ही आपके ग्राम में फसल चक्र परिवर्तन हेतु शिविर का आयोजन किया जाएगा।
कलेक्टर सुश्री गांधी ने कहा कि फसल परिवर्तन हेतु जिले में संचालित बीज प्रक्रिया केन्द्र कुरूद के मरौद एवं धमतरी के कलारतराई में बीज उत्पादन हेतु अधिक से अधिक पंजीयन कराएं तथा कृषि विभाग में संचालित योजनाओं से दलहन, तिलहन की खेती का लाभ उठाएं। बीज उत्पादन अंतर्गत ली गई दलहन, तिलहन फसल को किसानों से उक्त बीज प्रक्रिया केन्द्रों द्वारा निर्धारित दरों में खरीदी की जाएगी तथा बीज उत्पादन के अतिरिक्त फसलों के उत्पाद को कृषि उपज मंडल, कृषक उत्पादक संगठन (एफपीओ) के माध्यम से विक्रय की जा सकती है। कलेक्टर ने बताया कि पिछले वर्ष ग्राम पंचायत परसतराई एवं रांवा ने फसल चक्र परिवर्तन अपनाते हुए उत्कृष्ट मिसाल पेश की थी। ग्रीष्मकालीन धान न लेते हुए रांवा एवं परसतराई के किसानों द्वारा चना, गेहूं, सरसों इत्यादि फसल ली गई थी, जिसके कारण ग्राम रांवा का भूजल स्तर भी बढ़ा और चना, गेहूं की उपज से अच्छी आमदनी हुई। कलेक्टर सुश्री गांधी कहा कि हम चाहते हैं कि जिले में अन्य ग्राम पंचायत का नाम भी उसी कड़ी में जुड़े। यदि आपके ग्राम से 100 एकड़ या इससे अधिक क्षेत्र में ग्राम के किसानों द्वारा फसल परिवर्तन को अपनाया जाता है, तो आपके ग्राम पंचायत को आने वाले समय में जिला प्रशासन द्वारा सम्मानित किया जाएगा। कुछ किसानों द्वारा खरीफ के धान फसलों की कटाई के बाद अज्ञातवश पराली जलाते हैं, जिससे वायु प्रदूषण होने के साथ ही मिट्टी के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है तथा किसानों के मित्र कीट नष्ट हो जाते हैं। अतः अपने ग्राम पंचायत की ग्राम सभा में पराली न जलाने का प्रस्ताव पारित करें व कड़ी प्रतिबंध लगाए तथा किसानों, नागरिकों को जागरूक करें। कलेक्टर ने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि किसान हित, पर्यावरण एवं जल संरक्षण के इस मुहिम में आपका सहयोग निरंतर मिलता रहेगा।