रोमन कैथोलिक चर्च की वार्षिक कर्मा नृत्य प्रतियोगिता के कार्यक्रम को प्रशासनिक अनुमति देने के बाद अंतिम क्षणों में किया रद्द
भाजपा सरकार की साम्प्रदायिक मानसिकता उजागर..संविधान के अनुच्छेद 25 से 28 मौलिक अधिकारों का सरासर उलंघन...अमित जोगी
उत्तम साहू
रायपुर/ रोमन कैथोलिक चर्च की वार्षिक कर्मा नृत्य प्रतियोगिता कार्यक्रम को एक महीने पूर्व प्रशासनिक अनुमति देने के बावजूद अंतिम क्षणों में“हिंदू रक्षा मंच” और “विश्व हिंदू परिषद” के द्वारा धर्मांतरण करवाने की निराधार आपत्ति के कारण छत्तीसगढ़ सरकार ने कार्यक्रम को अचानक रद्द कर दिया है। कार्यक्रम रद्द होने पर जकांछ के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि भाजपा सरकार की साम्प्रदायिक मानसिकता उजागर उजागर हो गई है, उन्होंने बताया कि ईसाई समुदाय चंडीगढ़ के प्रचारक भाई बैजेंद्र सिंह को 25 अक्टूबर 2024 को दुर्ग, चेन्नई के प्रचारक भाई दिनाकरण को जगदलपुर में 8-10 नवंबर 2024 और अंबिकापुर में 22 अक्टूबर 2024 में कार्यक्रम आयोजित करने हेतु प्रशासनिक अनुमति दिया गया था, लेकिन अंतिम समय में प्रशासनिक अनुमति को वापस ले लिया गया है, इस प्रकरण से भाजपा की कथनी और करनी में ज़मीन-आसमान का अंतर दिखाई दें रहा है।
अमित जोगी ने आगे कहा कि उक्त तीनों प्रकरणों में हस्तक्षेप करने हेतु मैंने स्वयं भाजपा प्रदेश अध्यक्ष श्री किरन देव सिंह और मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के कार्यालय में व्यक्तिगत रूप से आग्रह किया था,और उन्होंने मुझे सर्वोच्च स्तर- मुख्यमंत्री और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष- के आधार पर भरोसा दिलाया कि छत्तीसगढ़ में “सर्वधर्म सम्भाव” की नीति का कड़ाई से पालन कराया जाएगा एवं किसी भी धर्म की सभा पर प्रशासनिक रोक नहीं लगायी जाएगी। सरकार और संगठन प्रमुख के विश्वास दिलाने के बावजूद उपरोक्त तीनों आयोजनों की प्रशासनिक अनुमति आख़िरी क्षणों में रद्द कर दी गई। छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष श्री किरण देव सिंह जी के संरक्षण में दिए उपरोक्त तीनों आदेश हर भारतीय नागरिक के लिए बाबा साहब अंबेडकर के द्वारा बनाए संविधान के अनुच्छेद 25 से 28 मौलिक अधिकारों का सरासर उल्लंघन है।
छत्तीसगढ़ शासन द्वारा भाई बैजेंद्र सिंह, भाई दीनाकरण और रोमन कैथोलिक गिरजा को “विवादित” एवं “असामाजिक” करार देना सरासर गलत है, जो श्री विष्णु देव साय की सरकार की साम्प्रदायिक मानसिकता को उजागर करती है। इसके पहले छत्तीसगढ़ में ऐसा कभी नहीं हुआ है और भविष्य में भी इसे रोकने के लिए हमें न्यायालय की शरण में जाना पड़ेगा ताकि बाबा साहब अंबेडकर के संविधान की रक्षा हो सके।