पंचायत चुनाव में अधिकारियों की गंभीर लापरवाही उजागर.... मामला नगरी विकासखंड के ग्राम पंचायत लटियारा का

 पंचायत चुनाव में अधिकारियों की गंभीर लापरवाही उजागर.... मामला नगरी विकासखंड के ग्राम पंचायत लटियारा का

पंच पद के लिए दो लोगों का नामांकन दाखिल और बेलेट पेपर में तीन उम्मीदवार

मामले की जानकारी लेने गए पत्रकारों से मिलना मुनासिब नहीं समझी एसडीएम साहिबा 


उत्तम साहू 

नगरी/ धमतरी जिले के आदिवासी विकासखंड नगरी में पंचायत चुनाव शांतिपूर्ण संपन्न हो गया है, लेकिन चुनाव कार्य में संलग्न अधिकारी कर्मचारियों की गंभीर लापरवाही की सनसनीखेज खबर निकलकर सामने आई है,जिसके जांच के लिए अनुविभागीय अधिकारी के कार्यालय में लिखित शिकायत किया गया है, 




बता दें कि नगरी जनपद के ग्राम पंचायत लटियारा के वार्ड क्रमांक 6 में पंच पद के लिए दो उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल किया था पहला लीलंबर सिंह नेताम जिसे सीढ़ी छाप मिला था दुसरा रामगुलाल नेताम जिसे फावड़ा छाप चुनाव चिन्ह मिला था परंतु मतदान करने के समय बैलेट पेपर में तीसरा उम्मीदवार सविता मरकाम जिसे बाल्टी छाप चुनाव चिह्न दिया गया था जबकि इस नाम का कोई व्यक्ति लटियारा गांव में नहीं है, ऐसे में सवाल उठाए जा रहे हैं क्या इतनी बड़ी चूक जानबूझ कर किया गया है, बैलेट पेपर किस आधार पर छपवाया गया यह तो जांच के बाद ही खुलासा होगा, ऐसा माना जा रहा है कि इस पूरे मामले पर चुनाव संपन्न कराने वाले अधिकारियों का गंभीर लापरवाही का परिणाम है, ना तो नामांकन दाखिल हुआ है ना ही इस नाम का कोई व्यक्ति है लेकिन बेलैट पेपर में तीन उम्मीदवारों का नाम और चुनाव चिन्ह कैसे छापा गया है, जो जांच का विषय है, जिसकी निष्पक्ष जांच कराई जाए एवं मामले में संलिप्त अधिकारी पर कड़ी कार्रवाई की जाए।




एसडीएम की व्यवहार से मिडिया की गरिमा को पहुंची ठेस


इस मामले को लेकर जब पत्रकारों की टीम ने एसडीएम से चर्चा करने कार्यालय पहुंचा तो एसडीएम साहिबा कोर्ट में सुनवाई कर रही थी फिर भी पत्रकारों ने डेढ़ घंटा इंतजार किया जब एसडीएम साहिबा अपने चेंबर में पहुंची तो पत्रकारों ने एसडीएम से मिलना चाहा लेकिन अधिकारी ने पत्रकारों से मिलना मुनासिब नहीं समझा और कहा कि बाद में मिलेंगे, इसके बाद पत्रकार बिना जानकारी लिये बैरंग लौट गए, 

अब सवाल यह उठता है कि लोकतंत्र के चौथा स्तंभ किसी गंभीर मसले को लेकर अधिकारी का डेढ़ घंटे तक इंतजार करते हैं, और अधिकारी कार्यालय में मौजूद होते हुए भी पांच मिनट का भी समय पत्रकारों को नहीं देने से पता चलता है कि जिले में किस कदर अधिकारी राज हावी है, जब डेढ़ घंटे से इंतजार में बैठे पत्रकारों को समय नहीं दे सकती तो इससे अंदाजा लगाया जा सकता है, की इस आदिवासी अंचल से फरियाद करने आने वाले आम जनता के साथ कैसे सलूक होता होगा । अधिकारी का यही रवैया रहा तो प्रदेश में कैसे सुशासन स्थापित होगा..? यह एक बड़ा सवाल है।

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