भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी करोड़ों की परियोजना,सिंचाई विभाग के कामों की गुणवत्ता पर उठे सवाल,

  

 5 करोड़ से अधिक की सिंचाई परियोजना चढ़ी भ्रष्टाचार की भेंट 

सिंचाई विभाग के कामों की गुणवत्ता पर उठे सवाल,

हालात ऐसे है कि नवीन निर्माण कार्य को भी मरम्मत की पड़ रही है जरूरत 



उत्तम साहू 

नगरी/ सिंचाई विभाग में करोड़ों का घोटाला सामने आया है। विभाग के अफसर सिंचाई विभाग की परियोजना को पलीता लगाने में जुटे हुए हैं। जिसके चलते करोड़ों की परियोजनाएं भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ रही हैं। जिसके चलते सिंचाई विभाग के कामों की गुणवत्ता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।

मामला धमतरी जिले के नगरी ब्लाक का है जहां सिंचाई विभाग की देखरेख में करोड़ों की लागत से बन रही नहर नाली के जीर्णोद्धार निर्माण कार्य में गुणवत्ता हीन कार्य कर भ्रष्टाचार करने का मामला सामने आया है। इस नहर नाली निर्माण में मानकों की पूरी तरह से अनदेखी की गई है। ठेकेदार मनमाने तरीके से काम कर रहा है, और विभाग के जिम्मेदार अधिकारी आंखे बंद कर बैठे हैं। उच्च अधिकारियों की उदासीनता से ठेकेदार को खुली छूट मिल गई है, जिसके चलते यह निर्माण कार्य पूरी तरह से भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ता दिख रहा है।

बता दें कि सोंढूर जलाशय परियोजना के अंतर्गत मुख्य नहर से सिहावा वितरक शाखा नहर आर.डी. के अंतर्गत 0.से 22 किलोमीटर तक ड्रेनेज साइफन का पूर्ण निर्माण कार्य किया जा रहा है जिसकी लागत राशि 5 करोड़ 28 लाख रुपए है। सिंचाई ‌विभाग के देखरेख में करोड़ों की लागत से बन रही नाली निर्माण में भारी भ्रष्टाचार और लापरवाही देखने को मिल रही है। नाली निर्माण की गुणवत्ता इतनी खराब है कि नये बनाए गए निर्माण में जगह जगह दरारें पड़ गई है जिसे फिर से दुबारा रिपेयर किया गया है, निर्माण कार्य में पानी से ट्युरिंग नहीं किया गया है इसके वजह से सीमेंट जगह जगह-जगह उखड़ने लगी है।

किसानों ने पहले भी इस निर्माण कार्य की गुणवत्ता पर सवाल उठाए थे, स्थानीय नागरिकों ने बताया कि नहर सुधार व लाइनिंग कार्य हो रहा है और जो हो चुका है इन निर्माण कार्यों की गुणवत्ता पर सवाल खड़े किए गए हैं। निर्माण कार्यों में ठेकेदार द्वारा गंभीर अनियमितता बरती गई है और सतत जारी भी है कार्य स्थल को देखने से स्पष्ट पता लगता है कि सिंचाई परियोजनाओं के लिए विशेष प्रकार की यूपीसी सीमेंट का उपयोग किया जाना चाहिए था लेकिन उसके स्थान पर घटिया किस्म की पीपीसी सीमेंट का उपयोग किया गया है जिससे उक्त निर्माण कार्य में लंबी दरारें पड़ गई है, जिसके कारण नवीन निर्माण कार्य को भी मरम्मत की जरूरत पड़ रही है, जो कल्वर्ट बनाए गए हैं उनकी स्थिति भी बद से बदतर है जिसे कोई भी जाकर देख सकता है, घटिया निर्माण सामग्री के उपयोग से निर्माण कार्य औचित्यहीन हो गया है इससे ऐसा प्रतीत होता है की वर्षा ऋतु में नहर नाली मिट्टी से भर जाएगा, इस निर्माण कार्य से किसानों को लाभ मिलता नहीं दिखाई दे रहा है, इससे स्पष्ट है कि उक्त निर्माण कार्य सिर्फ और सिर्फ अधिकारियों और ठेकेदारों को लाभ पहुंचाने के लिए स्वीकृत करवाए गए हैं, स्थानीय नागरिक और किसानों का कहना है कि इस निर्माण कार्यों की उच्च स्तरीय तकनीकी टीम के द्वारा जांच कराई तो करोड़ों में हो रहे भ्रष्टाचार की पोल खुल जाएगा।

अब देखना होगा कि समाचार प्रकाशित होने के बाद प्रशासन का अगला कदम क्या होगा..?

 







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