स्कूल के भीतर चाकूबाजी से फैली सनसनी, जांच में जुटी पुलिस
बिलासपुर/ न्यायधानी कहे जाने वाले बिलासपुर में चाकूबाजी की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं और हालात इतने चिंताजनक हो गए हैं कि अब स्कूलों के भीतर भी खून-खराबा होने लगा है। मंगलवार को तारबाहर थाना क्षेत्र स्थित भारत माता स्कूल में घटी घटना ने पूरे शहर में सनसनी फैला दी। मिली जानकारी के अनुसार, दो छात्रों के बीच किसी बात को लेकर विवाद इतना बढ़ गया कि उनमें से एक ने गुस्से में आकर अपने साथी पर चाकू से हमला कर दिया। इस हमले में छात्र गंभीर रूप से घायल हो गया। उसके हाथ और पसली में चोट आई है। घटना के तुरंत बाद आसपास मौजूद लोगों में अफरा-तफरी मच गई।
घायल छात्र के परिजनों का आरोप है कि स्कूल प्रबंधन ने इस पूरे मामले में घोर लापरवाही बरती। उनका कहना है कि घटना की सूचना उन्हें देर से दी गई और बच्चे को भी लगभग एक घंटे बाद अस्पताल पहुंचाया गया। परिजनों ने सवाल उठाया कि आखिर 17–18 साल के छात्र स्कूल में चाकू लेकर कैसे दाखिल हो गए? आक्रोशित अभिभावकों ने इस घटना को सुरक्षा व्यवस्था की बड़ी चूक बताया। उनका कहना है कि यदि जल्द ही सख्त कार्रवाई नहीं की गई तो वे एसपी और कलेक्टर को ज्ञापन देकर सख्त कदम उठाने की मांग करेंगे।
लगातार बढ़ती चाकूबाजी की घटनाओं से दहशत गौरतलब है कि बिलासपुर में चाकूबाजी की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। पुलिस रिकॉर्ड बताता है कि जनवरी से जुलाई 2025 के बीच 120 चाकूबाजी की वारदातें दर्ज की गईं। इन घटनाओं में 7 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 122 लोग घायल हुए हैं। सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि मामूली विवाद और आपसी रंजिश में भी धारदार हथियारों का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि रसोई के चाकू, ओपनर और अन्य धारदार हथियारों की खुलेआम बिक्री युवाओं को हिंसा की ओर धकेल रही है। इन हथियारों की आसान उपलब्धता के कारण छोटी-सी कहासुनी भी खून-खराबे में बदल जाती है।
बिलासपुर में बढ़ती चाकूबाजी की घटनाओं को लेकर हाईकोर्ट ने भी संज्ञान लिया था और अफसरों से जवाब तलब किया था। इसके बाद पुलिस ने कार्रवाई तेज की। जुलाई माह तक पुलिस ने 203 कार्रवाइयां कीं और बड़ी संख्या में चाकू बरामद किए। वहीं, पिछले 15 दिनों में ही पुलिस ने 33 धारदार हथियार जब्त किए हैं। पुलिस अफसरों का कहना है कि आर्म्स एक्ट के तहत कार्रवाई लगातार जारी है और युवा वर्ग को हथियारों से दूर रखने के लिए कड़ी निगरानी रखी जा रही है। इसके बावजूद घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं, जिससे आम लोगों में दहशत का माहौल है।
स्थानीय लोग और अभिभावक मानते हैं कि केवल पुलिस कार्रवाई से हालात नहीं सुधरेंगे। इसके लिए स्कूलों, कॉलेजों और समाज में कड़ी मॉनिटरिंग, काउंसलिंग और जागरूकता अभियान की आवश्यकता है। कई लोगों का मानना है कि यदि समय रहते इस पर सख्ती नहीं बरती गई तो आने वाले दिनों में यह समस्या और गंभीर हो सकती है। इस घटना के बाद से न केवल छात्र-छात्राओं में डर का माहौल है बल्कि अभिभावकों में भी भारी आक्रोश देखने को मिल रहा है। अभिभावकों की मांग है कि स्कूलों में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था और नियमित चेकिंग हो ताकि कोई भी छात्र धारदार हथियार लेकर अंदर प्रवेश न कर सके।