नगरी सिहावा..अंचल में मनाया जा रहा है पोला का तिहार, नगर सहित गांव में नजर आ रहा उत्साह…
उत्तम साहू
नगरी/ छत्तीसगढ़ में आज पोला त्योहार का उत्साह गांव से लेकर शहर तक नजर आ रहा है. छत्तीसगढ़ के इस पारंपरिक त्योहार में कृषि कार्यों में लगे बैलों की पूजा का विधान है. इस दिन किसान कृषि कार्य नहीं करते हैं, और बैलों को नहलाकर उसे सजाकर पूजा करते हैं. घरों में मिट्टी, लकड़ी से बने बैलों की पूजा करते हैं, इस अवसर पर ठेठरी-खुरमी सोंहारी और अईरसा जैसे पारंपरिक व्यंजन भी बनाए जाते हैं।
यह त्योहार भाद्रपद मास की अमावस्या को मनाया जाता है और विशेष रूप से किसानों के द्वारा बैलों के प्रति श्रद्धा और आभार प्रकट करने के लिए समर्पित होता है। पोला मुख्य रूप से किसानों का त्योहार है, जो कृषि में बैलों की अहम भूमिका को सम्मान देने के लिए मनाया जाता है।
पोला त्योहार मनाने के पीछे यह कहावत है कि अगस्त माह में खेती-किसानी का काम समाप्त होने के बाद इसी दिन अन्न माता गर्भ धारण करती है यानी धान के पौधों में इस दिन दूध भरता है इसीलिए यह त्योहार मनाया जाता है। पिठोरी अमावस्या के दिन मिट्टी और लकड़ी से बने बैल चलाने की भी परंपरा है।