दुगली में हुई 110 राजस्व परिवर्तित वन ग्रामों की महत्वपूर्ण बैठक
एग्रीस्टेक आईडी पंजीयन की अनिवार्यता और भुइंया पोर्टल की त्रुटियों पर गहन मंथन
उत्तम साहू धमतरी, 9 सितम्बर
दुगली/ धमतरी जिले के राजस्व रूपांतरित 110 वन ग्रामों की एक अत्यंत महत्वपूर्ण बैठक आज दुगली के बहारराय प्रांगण में संपन्न हुई। बैठक में वन ग्रामों से जुड़े ज्वलंत मुद्दों—जमीन के अधिकार, डिजिटल रिकॉर्डिंग की समस्याएं और सहकारी केंद्रों में समर्थन मूल्य पर धान विक्रय हेतु आवश्यक एग्रीस्टेक पोर्टल पंजीयन जैसे विषयों पर गहन विचार-विमर्श किया गया।
बैठक की अध्यक्षता संघर्ष समिति के संयोजक मयाराम नागवंशी एवं जिला अध्यक्ष बंशीलाल सोरी ने की। इस दौरान सभी ग्राम पंचायत प्रतिनिधि, पटेल एवं स्थानीय ग्रामीण बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
बैठक में वक्ताओं ने बताया कि छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा वन ग्रामों को राजस्व ग्राम का दर्जा तो दे दिया गया है, परंतु भुइंया पोर्टल पर अभी भी ज़मीन का रिकॉर्ड अपलोड नहीं किया गया है। ग्रामीणों की काबिज ज़मीन का अभी तक दुरुस्तीकरण नहीं हुआ, जिससे उन्हें पूर्ण संवैधानिक अधिकार नहीं मिल पा रहे हैं।
साथ ही किसानों को इस वर्ष धान विक्रय के लिए एग्रीस्टेक पोर्टल से पंजीयन की अनिवार्यता ने नई चुनौती खड़ी कर दी है। तकनीकी और संसाधन की कमी के चलते अनेक वन ग्रामों के किसान इस प्रक्रिया से वंचित रह जा रहे हैं।
बैठक में निर्णय लिया गया कि आगामी दिनों में एक जिला स्तरीय प्रतिनिधिमंडल गठित कर, विभागीय मंत्री को ज्ञापन सौंपा जाएगा और यदि समस्याओं का समाधान नहीं हुआ, तो आंदोलन की राह अपनाई जाएगी।
जिला अध्यक्ष बंशीलाल सोरी ने कहा कि, "हम पहले प्रशासनिक स्तर पर संवैधानिक तरीके से अपनी बात पहुंचाएंगे, लेकिन यदि समाधान नहीं हुआ तो सड़क पर उतरने से भी पीछे नहीं हटेंगे।"
बैठक में ग्रामीणों की पीड़ा उनके चेहरों पर स्पष्ट दिखाई दी। पुरुषों के साथ बड़ी संख्या में महिलाएं एवं युवा भी बैठक में शामिल हुए, जो इन समस्याओं की गंभीरता को दर्शाता है।
बैठक में उपस्थित प्रमुख जनप्रतिनिधियों में बुधराम साक्षी, गोवर्धन मंडावी, बीरबल पदमाकर, रवि नेताम, मकसूदन मरकाम, राजाराम मंडावी, चिंताराम वट्टी, सहित अनेक प्रतिनिधि शामिल रहे।



