कौमी एकता और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक बना नव आनंद कला मंदिर नगरी

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कौमी एकता और सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक बना नव आनंद कला मंदिर नगरी

74 वें नवदुर्गा एवं विजयदशमी महोत्सव की धूमधाम से तैयारियाँ पूरी



उत्तम साहू 

नगरी। कौमी एकता और भाईचारे की मिसाल माने जाने वाले नव आनंद कला मंदिर नगरी के तत्वावधान में इस वर्ष नगर स्तरीय 74वां नवदुर्गा एवं विजयदशमी महोत्सव बड़े ही हर्षोल्लास और परंपरागत धूमधाम से मनाया जाएगा। आयोजन की तैयारियाँ अंतिम चरण में हैं और पूरे नगर में उल्लास का माहौल है।


समिति के सहभागी संगठन श्री राम नव युवक परिषद नगरी के महासचिव नरेश छेदैहा ने बताया कि माता रानी का अद्भुत एवं भव्य पंडाल सजाया गया है, जिसकी झलक देखने नगरवासी बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। इस आयोजन में किसी जाति, वर्ग या धर्म का बंधन नहीं होता, सभी समुदाय के लोग एकजुट होकर सम्मिलित होते हैं। यही कारण है कि यह महोत्सव नगरी की कौमी एकता और भाईचारे की पहचान बन चुका है।

            शोभायात्रा बनेगी आकर्षण का केंद्र

आयोजन का शुभारंभ माता रानी की भव्य शोभायात्रा से होगा। यह शोभायात्रा नगर पंचायत से जनप्रतिनिधियों की पूजा-अर्चना के बाद निकलेगी। इसमें महिलाएँ कलश धारण कर शामिल होंगी, वहीं नई बस्ती सेवा दल और पुरानी बस्ती सेवा दल के भक्तजन ढोल, मंजीरे और जस गीतों के मधुर स्वर से माहौल को भक्तिमय बना देंगे। नगर के सभी वार्डों और मोहल्लों के लोग इसमें शामिल होकर अद्भुत सामूहिकता का परिचय देंगे।

         सांस्कृतिक कार्यक्रम और ज्योति कक्ष

गांधी चौक एवं राजा बाड़ा पर माता रानी की प्रतिमा स्थापना के बाद नौ दिनों तक सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इस अवधि में किसी अन्य वार्ड में सार्वजनिक आयोजन नहीं होता, जिससे पूरा नगर एक ही मंच पर एकत्रित होता है।

कार्यक्रम स्थल पर बने ज्योति कक्ष में श्रद्धालु अपनी मनोकामना ज्योति प्रज्वलित करते हैं और प्रतिदिन माता रानी की विशेष पूजा-अर्चना होती है।

          14 रामायण मंडलियों की सहभागिता

इस आयोजन में श्री राम नव परिषद नगरी से जुड़ी सभी 14 रामायण मंडलियाँ सक्रिय भागीदारी निभाती हैं। ढोल-मंजीरा की ध्वनि और मधुर जस गीतों से वातावरण भक्तिमय और आकर्षक हो उठता है।

         परंपरागत ‘बिनवा छेना’ का प्रयोग

नवरात्रि के दौरान माता रानी की पूजा-अर्चना और दशांग धूप की आहुति के लिए विशेष रूप से बिनवा छेना का उपयोग किया जाता है। खेतों-खलिहानों में प्राकृतिक रूप से सूख चुके गोबर को ‘बिनकर’ लिया जाता है, जिसे स्थानीय बोली में बिनवा छेना कहा जाता है। यह परंपरा लगातार 74 वर्षों से अक्षुण्ण है और आयोजन की विशेषता बनी हुई है।

                विशेष हवन यज्ञ

नवरात्रि में विशेष हवन यज्ञ प्रतिदिन दोपहर 12 बजे से विशाल हवन यज्ञ आयोजित होता है। इसमें दुर्गा सप्तशती के 13 अध्याय, बीज मंत्रों का उच्चारण, विशेष निर्वाण मंत्रोपचार और जंगल से संकलित ताजे औषधीय पदार्थों की आहुति दी जाती है। भक्तजन, विशेषकर व्रतधारी महिलाएं और पुरुष इसमें बड़ी संख्या में भाग लेते हैं।

            समिति की सक्रिय भूमिका

पूरे आयोजन को सफल बनाने समिति के अध्यक्ष मोरध्वज पटेल, सचिव दीपेश निषाद, सह-कोषाध्यक्ष मिश्री तातेड़, उपाध्यक्ष अशोक पटेल, सुरेश साहू, रविंद्र साहू, शंकर देव, देवीचरण ध्रुव, तथा समिति के अन्य सदस्य दिन-रात जुटे हुए हैं।

इस महोत्सव को सफल बनाने में व्यवसायिक वर्ग, कर्मचारी वर्ग और पुलिस प्रशासन का भी भरपूर सहयोग मिलता है।

         अनुकरणीय परंपरा

हर साल की तरह इस वर्ष भी लोग इस आयोजन की प्रतीक्षा कर रहे हैं। नव आनंद कला मंदिर नगरी को पूरे क्षेत्र में अनुकरणीय और आदर्श समिति के रूप में देखा जाता है। यह आयोजन केवल धार्मिक पर्व नहीं बल्कि भाईचारे और कौमी एकता का जश्न है, जो पूरे नगर को एक सूत्र में बाँधता है।




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